बीबी का जिद्द
Bibi ka Jidd
Bibi ka Hat:-
Bibi ka Jidd
बहुत समय पहले की बात है एक दौलतपुर नाम का गांव था दौलतपुर गांव में चार दोस्त रहा करते थे चारो दोस्तों में बहुत घनिष्ठा थी. और एक दूसरे का मदद किया करते थे गांव में इन चारो की दोस्ती का मिशाल दिया जाता था तभी अचानक एक दिन गांव में बहुत तेज बारिश होना सुरु हो गया. और यह बारिश एक महीने तक होते ही रह गया जिस कारण गांव में बाढ़ आ गया बाढ़ आने के वजह से गांव में जानवर धन और बहुत सारा सामान का नुकसान हो गया लोग बह गए. और उस बाढ़ से कई लोग का मृत्यु भी हो गया तब चारो दोस्त ने अपने आप को बचाने के लिए एक पेड़ के ऊपर अपना एक छोटा सा घर बनाया क्यों की कही और जाने का कोई रास्ता नहीं बचा था उन सब के पास बाढ़ के खत्म होने के बाद गांव में बहुत ज्यादा गरीबी भूख मरी आ गया जिससे बहुत सरे लोग उस गांव को छोड़ कर और कही चले गए.
फिर एक दिन चारो दोस्त ने मिलकर सोचा की अब गांव में कुछ बचा नहीं है. तो हम लोग गांव से बाहर किसी शहर में जाके कुछ पैसा कमाते है. और पैसा कमा के फिर गांव में वापस आएंगे और गांव को फिर पहले जैसा बनाएंगे फिर चारो ने मिलकर ये तय किया की हम कमाने शहर जायेंगे फिर उसके बाद चारो शहर जाने के लिए तैयार हुए. फिर उसके गांव वालो ने बहुत आदर के साथ उनको गांव से बिदा किया उसके बाद चारो दोस्त कमाने के लिए निकल गए.
कुछ दूर जाने के बाद एक जंगल पड़ा और जब वो चारो जंगल में पहुंचे तब तक बहुत रात हो गई थी तो चारो ने सोचा की रात में जंगल को कैसे पार करेंगे जंगल में शिकारी जानवर हो सकते है. जिससे हमें नुकशान हो सकता है तब उन सब ने ये फैसला किया की हम सब रात में एहि कही सेफ जगह को देख कर आराम करते है. और फिर सुबह हम सब फिर शहर के लिए आगे बढ़ेंगे तभी एक दोस्त ने देखा की कुछ दुरी पर एक मंदिर है. जो काली माता का मंदिर था फिर चारो दोस्त उस मंदिर के पास पहुंचे और अपना अपना सामान रख कर कुछ खाने पिने का बेवस्था करने लगे फिर जो उनके पास जो कुछ भी था वो वहा पर बैठ कर खाये पिए फिर खाने के बाद आपस में बात करने लगे उसके बाद सोने की तयारी करने लगे तभी एक दोस्त बोला की अगर हम चारो सो जायेंगे तो अगर कोई जानवर या कोई चोर आ सकता है जिससे हमें कुछ नुकसान हो सकता है ऐसा करते है की एक कोई जागे और बाकि तीन सोते है. फिर कोई एक जागेगा और तीन सोयेंगे ऐसे रात भर करेंगे और ऐसा बोलने के बाद तीन दोस्त सो गए और एक दोस्त जगा था.
जो दोस्त जगा था वो सोच रहा था की अकेले अकेले क्या करू फिर कुछ टाइम बाद उसने अपने बैग से एक मिटटी का दिया निकला और उसे जला दिया उसके बाद वो मंदिर के निचे गया और वहा से कुछ मिटटी और खर पतवार लेके आया और उससे उसने एक पुतला बनाया जिसका मुँह हाथ पाव सब कुछ तैयार कर दिया और फिर उसने अपने एक दोस्त को जगाया और बोला भाई मुझे अब नीद आ रही है तुम जागो मै सोने जा रहा हु. और इतना कह कर वो सोने चला गया और उसका दूसरा दोस्त पहरा देने लगा.
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तभी अचानक वो देखता है की मंदिर के पास एक नग्न अवश्था में एक मूर्ति खड़ी है और उसके ऊपर कोई कपडा नहीं है फिर उसने अपने पोटली से कपडा निकाला और उस मूर्ति को पहना दिया और उसका बाल लगा दिया उसको एकदम सजा दिया जैसी की एक बहुत ही सुन्दर औरत के तरह उसके बाद वो मूर्ति बहुत ही सुन्दर दिखने लगी मूर्ति को सजाते सजाते उसको नीद आने लगा तो उसके अपने एक दोस्त को जगाया और बोला की मुझे नीद आ रही है अब तुम जागो मै सोने जा रहा हु इतना कह कर वो सोने चला गया
फिर उसका तीसरा दोस्त जाग कर पहरा देने लगा तभी कुछ टाइम बाद उसकी नजर उस मूर्ति पर पड़ी जो एकदम एक कुवारी कन्या की तरह दिख रही थी फिर उसने सोचा की इसके ऊपर कोई सिंगार नहीं है अगर ये हो जाये तो ये और अच्छी दिखने लग जाएगी और इतना सोच कर वो अपने बैग से सिंगार का सामान बाहर निकालता है और उसे सजाने लगता है और उसके सजाने के बाद अब उसको भी नीद आने लगी तो उसने अपने चौथे दोस्त को जगाया और बोला की मुझे नीद आ रही है अब तुम जागो मुझे सोने जाने दो और ऐना कह कर ये भी सोने चला गया और उसका दोस्त पहरा देने लगा
वो बैठ कर कुछ सोच रहा था तभी उसने देखा की एक औरत खड़ी है सामने कुछ दुरी पर वो सोचने लगा की इतनी रात को यह कौन औरत आ सकती है और वो डरने भी लगा और डरते डरते उसके पास गया तो देख की एक मूर्ति है और फिर उसकी जान में जान आई और फिर सोचता है की इतनी खूबसूरत मूर्ति कौन बनाया होगा और उसको देख कर वह उसमे मोहित होने लगा और व् सोचने लगा की काश ये मूर्ति जिन्दा होती तो मै इसे अपना बना लेता और एहि सब बाते सोचते सोचते वो भी सो गया
जब चारो दोस्त सो गए तभी अचानक आकाश मार्ग से माता पार्वती और शंकर भगवान जा रहे थे कही यात्रा पर तभी रास्ते में देखते है की एक दीपक के उजाला में एक मूर्ति है जिसका बहुत ज्यादा चेहरा चमक रहा था और माता पार्वती जी देख कर बहुत खुश होती है और सोचती है की ये किसने बनाया है और शंकर जी से कहती है चलिए न पास से देखा जाये और दोनों लोग पास में आते है और देखते है की बहुत ही सुन्दर औरत है तभी पार्वती जी के मन में एक कल्पना आता है की काश ये औरत जिन्दा होती तो कितना अच्छा होता.
और फिर शंकर भगवान से कहती है की स्वामी जी इस मूर्ति को जिन्दा कर दीजिये मै इसे जिन्दा देखना चाहती हु तो शंकर जी कहते है की नहीं ऐसा करना उचित नहीं होगा ऐसा करने से इन चारो की जान भी जा सकती है तो पार्वती जी कहती की क्यों तो शंकर जी कहते है की ऐसा ही होगा आप हैट न कीजिये और चलिए हम लोग चलते है परन्तु पार्वती जी मानती है सोचती है की थोड़ा इसको जीवित देख लिया जाये और वो हट कर लेती है जिससे शंकर जी बहुत चिंतित हो जाते है और उनको बहुत समझाते है लेकिन पार्वती जी समझने के लिए तैयार नहीं थी और पार्वती जी हट के कारण शंकर जी को उस मूर्ति को जिन्दा करता पड़ता है
और फिर औरत के जिन्दा होने के बाद शंकर भगवान और पार्वती जी उस औरत को देखते है लेकिन वो औरत उन लोगो को नहीं देख पाती है और फिर पार्वती जी उसको देख कर बहुत ही ज्यादा खुश होती है और फिर वहा से चल देती है और तब तक सुबह हो जाती है और सुबह होते ही जंगल की चिड़िया चहचहाने लगाती है फिर एक दोस्त उठता है और बाकि सभी को जगाता है और मंदिर के बगल में देखता है की कोई औरत धूम रही है और वह उसे देख कर आचार्यचकित हो जाता है ये तो वही मूर्ति है जिसको हमने बनाया था ये जीवित कैसे हो गई ये कैसे हुआ और उसको जब पहला वाला देखता है तो वो उसपे मोहित हो जाता है फिर दूसरा दोस्त आता है तो वो बोलता है अरे इसको तो मैंने कपडा पहनाया था ये तो बहुत सुन्दर औरत है और उसको देख कर वो भी मोहित हो जाता है तब तक तीसरा दोस्त आता है और वो बोलता है की मैंने तो इसको सिंगार से सजाया था और उसको देख कर ये भी मोहित हो जाता है और चौथे का भी यही हाल होता है
और फिर चारो उस औरत के पास जाते है और पहला दोस्त कहता है की तुम मेरी हो और मैंने तुमको बनाया है तभी दूसरा बोलता है की नहीं तुम मेरी हो मैंने तुमको कपड़ा पहनाया है तभी तोसरा बोलता है की नहीं तुम सिर्फ मेरी हो क्यों की मैंने तुमको सजाया है तभी चौथा बोलता है की ये किसी की नहीं है ये बस मेरी है क्यों की मैंने उसको अपने दिल में बसाया है और ऐसे ऐसा बोलते बोलते चारो आपस में लड़ने लगते है और लड़ते लड़ते एक दूसरे का खून बहाना चालू कर देते है और उन सब को आपस में लड़ते लड़ते बहुत देर हो जाती है.
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और पूरा एक दिन निकल जाता है बिना खाये पिए और तभी शंकर भगवान देखते है और सोचते है की ये चारो आपस में काट कर मर जायेंगे एक लड़की के लिए और फिर नारद जी को बुलाते है और उनसे कहते है की जाइये इन चारो को समझाइये नहीं तो ये चारो आपस में लड़ कर मर जायँगे और फिर नारद भगवान एक पंडित का रूप धारण करते है और फिर वहा पर पहुंचते है जहा पर लड़ाई हो रही है और जाके कहते है अरे ठहरो ठहरो भाई क्या बात है क्यों लड़ रहे हो और बताओ क्या माजरा है तभी उसमे से एक दोस्त पूरी की पूरी कहानी बताता है और कहानी बताने के बाद कहता है की बताइये एक औरत किसकी हुई
तब नारद जी बोलते है की जो इसको बनाया है वो इसका पिता हुआ और जो इसे कपडा पहनाया है वो इसकी माता हुई और जो इसे सिंगार से सजाया है वो इसका भाई हुआ और ये औरत उसी की है जिसने इसको अपने दिल में बसाया है और ये औरत भी उसी को पति मानेगी और फिर नारद जी समझाने से चारो का गुस्सा शांत होता है और फिर एक दूसरे से माफ़ी मांगने लगते है और फिर तीनो ने मिल कर उसके साथ साथ उस औरत की बिदाई की और बोले की तुम घर जाओ और हम लोग जाते है प्रदेश और वहा से पैसा कमा के भेजेंगे तो तुम गांव और घर का ख्याल रखना इतना कह कर वो तीनो चले जाते है
लेखक:- अर्जुन आइना
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