एक गरीब लकड़हारे की कहानी

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lakadhare ki kahani

lakkarhare ki kahani

सोनपुर नामक गांव में एक लकड़हारा रहता था | वह बहुत ही गरीब था. लेकिन ईमानदार और मेहनती था. गांव के ही पास एक जंगल से लकड़ी लाता और बाजार में बेचता और अपने परिवार का पालन पोषण करता था | गांव के लोग उसकी बहुत ही इज्जत करते थे | उसका एक बेटा था जिसका नाम सनी था वह हमेशा एक बड़ा आदमी बनने का सपना देखता और उस सपने को पूरा करने के लिए कुछ न कुछ करता रहता था | गांव के बहुत से लोगों से पैसे उधार लेके छोटे छोटे बिज़नेस में पैसा लगाया लेकिन किसी भी बिज़नेस में सफल नहीं हुआ. उसका मन लकड़हारे के काम में नहीं लगता |

सनी का घर छोड़ना

अपने गांव के मास्टर जी से भी कई बार झूठ बोलकर पैसे लिए कभी स्कूल के फीस के नाम पर कभी नौकरी के लिए वैसे सनी पढ़ने में अच्छा था लेकिन वह नौकरी नहीं करना चाहता था | बल्कि एक बड़ा बिज़नेस मेन बनना चाहता था | गांव के सभी लोग उससे तंग आ गए थे क्यों की जब कभी भी गांव के लोग अपने पैसे मांगने के लिए सनी के घर जाते तो वह या तो घर में छुप जाता या कोई न कोई नया बहाना बना के लोगों को वापस भेज देता सनी भी अब बहुत ही परेशान हो गया था उसके पास अब कोई भी रास्ता नहीं था कैसे इस कर्ज से छुटकारा पाए उसने एक प्लान बनाया |
एक पत्र लिखा और और उस पत्र को गांव के मास्टर जी को दे दिया और बोला मास्टर जी ये पत्र पापा को शाम तक दे देना मै आज घर नहीं आऊंगा शहर जा रहा रहा हूँ कुछ बिज़नेस के काम से , मास्टर जी बोले ठीक है मै दे दूंगा शाम को स्कूल की छुट्टी हुई और मास्टर जी घर ही जा रहे थे तब तक उन्हें याद आया कल परीक्षा है और कुछ पेपर कॉपी लाना है वो उसी समय पास के बाजार निकल गए और सनी का पत्र उसके पिता को देना था भूल गए |

सनी की खोज

उधर जब देर शाम तक सनी घर नहीं आया तो उसके पिता को चिंता हुई और उसे पता लगाने गांव में निकल गए कई लोगों से पूछने पर कोई पता नई लगा सनी दिन भर कही भी रहे लेकिन शाम को घर आ जाता और रात का भोजन अपने माँ और पिता के साथ ही करता वह उन्हें बहुत भी प्रेम करता था | बहुत देर रात तक सनी का इंतजार किये लेकिन कोई खबर नहीं मिली जब मास्टर जी रात को वापस घर आये तो उनकी पत्नी ने कहा सनी के पापा आये थे और सनी के बारे में पूछ रहे थे| तब मास्टर जी को सनी का पत्र याद आया पत्र लेकर मास्टर जी सनी के घर की तरफ निकल गए | सनी के माँ और पिता आपस में बाते कर रहे थे शायद कही किसी काम में तलाश में गया हो आ ही जायेगा अभी दोनों यही बाते केर रहे थे तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया उनको लगा चलो बेटा आय गया अब खाना खाते है | और माँ दरवाजे की तरफ बढ़ी और बोली कहा रह गए थे तभी से तुम्हारा ही इंतजार कर रहे है. और जैसे ही दरवाजा खुला माँ ने देखा सामने तो मास्टर जी खड़े है. माँ सन्न रह गई और बोली मास्टर जी आप इस समय उनको लगा ये भी पैसे मांगने के लिए ही आये होंगे. मास्टर जी बोले मै थोड़ा स्कूल के काम से बाजार चला गया था | इसी लिए देर हो गई घर आते ही पता चला आप लोग सनी को खोज रहे है| सनी मुझसे मिला था आज उसने दोपहर में मुझे एक पत्र दिया और बोला ये पत्र शाम को मेरे पापा को दे देना |

सनी का पत्र

सनी के पिता ने पत्र को लिया और पढ़ने लगे पत्र पढ़ते ही मूर्छित हो के जमीन पे गिर गए मास्टर जी दौर के पास गए और उन्हें उठाये पानी का छींटा मारे फिर उन्हें होश आया और बेटा बेटा कह कर के रोने लगे मास्टर जी आप ने बहुत देर कर दी आने में सनी की माँ परेशान हो गई और बोली मास्टर जी क्या लिखा है इस पत्र में मास्टर जी ने तुरंत पत्र को लिया और पढ़ने लगे पत्र पढ़ते पढ़ते मास्टर जी की आँखें भर आयी | बहुत हिम्मत जुटा के पत्र को सुनाया प्रिय पिता जी मैं आप दोनों से बहुत प्यार करता हूँ मै जानता हूँ आप दोनों मेरे बिना खुश नहीं रह पाएंगे मुझे माफ कर देना मैंने बहुत कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया कर्ज इतना अधिक हो गया है की उसे चूका नहीं पाऊंगा इसी लिए मैंने एक बीमा पालिसी करा रखी है जिससे आप हमारा कर्ज भी चूका देंगे और अपने आगे का जीवन सही से जी पाएंगे अब आपको जंगल से लकड़ियाँ नहीं लानी पड़ेंगी लेकिन ये सब करने के लिए मुझे इस दुनिया को त्यागना पड़ेगा इसी लिए मै इस दुनिया को छोड़ के जा रहा हूँ आज शाम को पुल के पास आ जाना आपका बेटा सनी |

सनी का प्लान

सनी का प्लान था की कर्ज से मुक्ति के लिए और अपने पिता के दुखो को दूर करने के लिए गांव के पास पुलिया से नदी में कूदकर इस दुनिया को छोड़ दे जिससे बीमा पालिसी से पैसे मिल सकेंगे लेकिन ये भी प्लान उसका सफल नहीं हुआ जब तक ये लोग पुल के पास पहुंचे बहुत देर हो चुकी थी बहुत खोजने पर भी बॉडी नहीं मिली | उधर जब सनी ने पुल से छलांग लगाई तो पानी का बहाव तेज होने से उसकी बॉडी बहुत ही दूर निकल गई | नदी में कुछ मछुआरे नाव मे बैठ के जाल से मछली पकड़ रहे थे तभी एक मछुआरे ने जाल खींचा जाल काफी भारी था उन्हें लगा कोई बड़ी मछली फसी है कुछ और मछुआरों ने मिलकर जाल बाहर खींचा जाल बहार आते ही क्या देखा वो बड़ी मछली नहीं बल्कि कोई २२ से २४ साल का आदमी है कपड़े ठीक ठाक पहने हुए था सब हैरान हो गए फिर चेक किये तो साँसे चल रही थी और उसके जेब में एक पर्ची मिली उस पर्ची में सिर्फ लोगों के नाम उनके पैसे लिखा था उन मछुआरों को लगा ये पैसे उन लोगों से लेने है | पैसे ना देना पड़े इसी लिए सभी ने मिलकर इसे नदी में फेंक दिया होगा | मछुआरों के मन में लालच आ गया उन्होंने सोचा इसको होश में लाते है और इससे इसका पता पूछ के इसको बचाने के नाम पे इससे जो पैसा इस पर्ची में है वो वसूल कर लेते है |

सनी का नया नाटक

जब मछुआरों ने उसे हॉस्पिटल ले गए और इलाज के बाद जब उसको होश आया तो सनी ने उनकी बाते सुनी उसने सोचा अगर मै कुछ बोलता हूँ तो मेरा सच सामने आ जायेगा और ये लोग हमें हमारे गांव वालों के हवाले कर देंगे तो उसने गूंगा होने का नाटक किया मछुआरों ने बहुत कोशिश की इशारों में पूछा लेकिन सफल नहीं हुए उसके घर का पता लगाने में अब उनको समझ नहीं आ रहा था की क्या करे कैसे पता लगाया जाये एक मछुआरे ने कहा कोई बात नहीं इसको ले चलते है और इससे मछली पकड़ने का काम करवाएंगे और हमें सिर्फ इसको खाना ही तो खिलाना होगा यही सोच के अपने घर लेके गए कुछ दिन बीत गए सनी मन ही मन सोचता क्या करुँ. ये सब कब तक चलेगा पता नहीं माँ और पिता कैसे होंगे बीमा के पैसे भी नहीं मिलेंगे होंगे गांव वाले ने उनका जीना हराम कर कर दिया होगा मै घर भी नहीं जा सकता

सनी का सेठ से मुलाकात

जिस मछुआरे ने सनी को अपने पास रखा था वह कुछ पैसे बाजार के एक सेठ से उधार लिया था मछुआरे को हर महीने ब्याज देना होता था सेठ को , एक दिन सेठ ने मछुआरे से मिला बोला हमें हमारे पैसे वापस करो वरना हम तुम्हारा नाव जब्त कर लेंगे मछुआरे के पास अभी पैसे नहीं थे लौटाने को उसने सोचा क्यों ना हम इस गूंगे को ही इसके पास गिरवी रख देते है. ये बोल भी नहीं पायेगा और हम इसका फायदा उठा लेंगे | सेठ से मछुआरे ने कहा अभी हमारे पास पैसा नहीं है. हम अपने भतीजे को आपके पास गिरवी रखना चाहते है सनी को अपना भतीजा बताया क्यों की उसे पता था ये तो गूंगा है कुछ बता नहीं पायेगा सेठ के पास बहुत सारा काम था. वो मान गया और सनी को लेके अपने घर चला गया सनी ने देखा ये बहुत ही बड़ा सेठ है इसके बिसनेस भी बहुत से है |

सनी का नया जीवन

सनी ने सेठ के यहां ईमानदारी से काम करने लगा और सेठ भी सनी की ईमानदारी से प्रभावित होने लगा एक दिन सेठ और सनी दोनों एक साथ बैंक जा रहे थे रास्ते मैं सेठ की गाड़ी को ट्रक से ठोकर लग जाती है और सेठ पूरी तरह से घायल हो जाता है सनी सेठ को अस्पताल ले जाता है और उनका इलाज करवाता है अब सनी को बोलना जरूरी होता है क्यों की अस्पताल में वही अकेले होता है सनी सेठ का पूरी तरह से ख्याल रखता है जब सेठ को होश आता है तो वो आपने आप को इस हालत में देख के वो नर्स से पूछता है. की मुझे यहाँ किसने लाया नर्स सनी की तरफ इशारा करते हुए बताती है की आप अपने लड़के की वजह से जिन्दा बचे है | सेठ ने इशारे में सनी को धन्यवाद और आशीर्वाद देता है सनी भी बहुत खुस होता है सेठ को देख के , सनी अब अपने आप को सेठ के सामने बोलने से रोक नहीं पता और बोला सेठ जी आप कैसे है सेठ आश्चर्य चकित हो जाता है अब मै बिलकुल ठीक हूँ लेकिन …. सनी बोला आप घर चलिए मै सब कुछ सच सच बताता हूँ फिर सेठ और सनी घर को जाते है. सनी अपनी पूरी कहानी बताता है सेठ सनी की कहानी सुनकर साक्क हो जाता है और सनी को अपना बेटा मान लेता है क्यों की सेठ का कोई बेटा नहीं होता. सेठ सनी के सारे कर्ज चूका देता है और उसके माँ बाप को भी अपने पास बुला लेता है और सब खुशी खुशी साथ में रहने लगते है |

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