Jadui Mataka

एक गांव था उस गांव में एक किसान रहता था उस किसान का एक छोटा सा लड़का था उस लडके का नाम मुरली था। मुरली बहुत ही चंचल लड़का था। एक दिन की बात है मुरली अपने दोस्तों के साथ खेलने जा रहा था। और उसने अपने साथ में बोतल में पानी लिया हुआ था ताकि उसे प्यास लगे तो वह उसे पि लेगा। और जैसे ही रास्ते में जा रहा था तो उसी रास्ते में एक बबुल का पेड़ दिखा और पेड़ के निचे एक बहुत बड़ा सा पथ्थर था। जब मुरली और उसके दोस्त वहा पर पहुंचे तो उसके दोस्तों ने कहा की यह भगवान का मूरति है। मुरली तुम इसपे अपना पानी चढ़ा दो। और इतना कह कर वो सब आगे बढ़ गए लेकिन मुरली वही पर रुका रहा और उस पथ्थर को देखता रहा और उसको लगा की ये सही में भगवान जी है। और एहि सोच कर वह जो बोतल में पानी लिया था। उसको उस पथ्थर पर डाल दिया। और हाथ जोड़ कर वहा से चला गया खेलने के लिए। लेकिन उस पथ्थर में कोई भगवान नहीं रहते थे उस बबूल के ऊपर एक प्रेत रहता था। लेकिन ये बात किसी को नहीं पता था। जब मुरली वहा से चला गया तब प्रेत उस पानी को पि के अपना प्यास बुझा लिया।

मुरली अब रोज उस पथ्थर पर भगवान समझ के पानी चढ़ाने लगा और धिरे धिरे बहुत साल हो गया उसको पानी डालते डालते। फिर एक दिन जब वह वहा पर पानी चढ़ाने के लिए और जब पानी चढ़ा कर वापस पीछे मुड़ा अपने घर जाने के लिए तभी उसको एक आवाज सुनाई दी। और वह आवाज उस पेड़ से आ रही थी। पेड़ से आवाज आई मुरली बेटा मै तुमसे बहुत खुश हु बताओ तुमको क्या बरदान चाहिए। इतना सुन कर मुरली एक दम डर गया और पूछा की आप कौन है और मेरा नाम कैसे जानते है। तब पेड़ से आवाज आई की मै प्रेत हु और तुम मुझे पिछले बहुत साल से पानी पीला रहे हो। इतना सुनते ही मुरली वहा से भागने लगा। लें वह प्रेत ने उसे दौड़ा कर पकड़ लिया और बोला की तुम डरो मत मै तुम्हे कुछ नहीं करूँगा मै तुमसे बहुत खुश हु। तुमको जो चाहिए मांगो मै तुमको दूंगा। अब इतना सुन कर मुरली सोचा की चलो कुछ मांग कर देखते है सायद यह मुझे दे ही दे। तब मुरली ने कहा की ठीक है मुझे एक बचन दो जो मै मागूंगा उसे तुम माना नहीं करोगे। तब प्रेत ने बचन दे दिया और बोला की जो तुम मांगोगे मै तुम्हे दूंगा।

फिर मुरली ने कहा की मुझे खूब सारा पैसा देदो। तब उस प्रेत ने कहा की ठीक है फिर मुरली ने कहा की मुझे दूसरा बरदान ये चाहिए की तुम हमेसा मेरे साथ में रहोगे । तब वह बोला की ठीक है मै हमेसा तुम्हारे साथ में रहूँगा तुम जब भी मुझे बुलावोगे मै तुम्हारे पास आ जाऊंगा।और उसको एक मटका दिया और बोला की इससे जो कुछ मगोंगे वो मिल जायेगा। तब फिर मुरली वहा से अपने घर आ गया। और घर आके अपने पिता जी बोला की पापा बताइये आप को क्या चाहिए आप को जो चाहिए मै आप को ला के देदूंगा। उसी बात को सुन कर उसके पिता जी उसपे हसने लगे और हस्ते हस्ते बोले की तुम सच्ची में जो चाहोगे वो जायेगा। कही पगला गए हो गया। तब मुरली बोला की पापा आप एक बार मांग के तो देखिए। तब उसके पिता जी बोले की ठीक है हर में कुछ खाने पिने को नहीं है और न ही अनाज है घर में तुम ला सकते हो क्या। तब मुरली बोला की ठीक है पापा मै अभी ला देता हु। और फिर इतना कह कर वह मटका से बोला की मेरे घर में खाने पीने की सामान और अनाज भर दो। और जैसे ही मुरली इतनी बात बोली उसके घर में सब कुछ भर गया। अब ये सब देख कर उसके पापा सोच में पड़ गए की ये सब कैसे हो सकता है। और अब धिरे धिरे मुरली अमीर होने लगा और अब उसका चारो तरफ नाम होने लगा।

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एक दिन की बात है मुरली कही जा रहा था तभी उसकी नजर एक बूढी औरत पर पड़ी जो बहुत बीमार लग रही थी। तब मुरली उसके पास गया और उससे पूछा की आप को क्या हुआ है। तब वह औरत ने बताया की मेरा तबियत बहुत ख़राब है और मेरे पास पैसा भी नहीं है की मै अपना इलाज करा सकू क्योकि मै बहुत ही गरीब हु। तब मुरली ने कहा की आप चिंता मत कीजिये मै आप को ठीक कर देता हु। और इतना कह कर वह अपने मटके से बोला कि इस औरत को ठीक कर दो। फिर देखते दखते वह औरत एकदम ठीक हो गई। और वह चलने फिरने लगी। अब उसके बाद मुरली का नाम तो अब चारो तरफ फ़ैलाने लगा और अब उसके पास दूर दूर से लोग आने लगे अपना इलाज कराने के लिए और उन सब का इलाज कर के मुरली भी बहुत खुश होता। अब धिरे धिरे इसी तरह उसका जीवन बीत रहा था। और जैसे तैसे ये बात कुछ को पता चल गया की मुरली के पास एक मटका है जिससे वह कुछ भी कर सकता और बहुत लोग को ठीक कर दिया है और बहुत पैसा भी कमा रहा है। फिर चोर सब सोचे की क्यों न उस मटके को चुरा लिया जाये और फिर हम सब अमीर हो जाये। फिर सभी चोर बोले की चलो किसी दिन चलते है उसको चुराने। फिर एक दिन तय हुआ की कल उसके घर रात में जायेंगे और वह मटका चुरा लाएंगे।

और फिर जब सुबह हुआ और फिर शाम हुआ और जब सब लोग खाना खा पीके सो गए तब सभी चोर मुरली के घर घुस गए और उसका मटका चुरा ले गए। लेकिन किसी को पता नहीं चला और जब सुबह हुआ तो मुरली ने देखा की उसका मटका जहा पर रखा है वहा पर दिख नहीं रहा है। फिर उसका बाद में पता चला की उसका मटका चोरी हो गया है। अब मुरली एकदम बेचैन हो गया अपने मटके के लिए। लेकिन उसका मटका नहीं मिला उसने बहुत जगह ढूढ़ा लेकिन उसे वह मटका कही नहीं मिला। तब फिर वह प्रेत को बुलाता है और उससे बताता है की मटका चोरी हो गया तुम बताओ वह मटका किसके पास है उसको किसने चुराया है। तब प्रेत बोलता है की तुम्हारे मटके को कुछ चोर सब चुरा के ले गए है। फिर मुरली कहता है की जावो उन सब को पकड़ कर ले आवो मेरे पास। फिर वह प्रेत जाता है उन सब को पकड़ कर मुरली के पास लेके आता है। और लेक उसके सामने खड़ा कर देता है। फिर मुरली पूछता है की मेरा मटका किसने चुराया है। लेकिन कोई बोल नहीं रहा था तब मुरली ने कहा की बता दो किसने चुराया है मेरा मटका नहीं तो सबको सजा मिलेगा। तब भी कोई नहीं बोलता है। तब मुरली प्रेत से बोलता है की इन सब को उल्टा लटका दो और फिर डंडे से मारो फिर बताएँगे सब। तब एक चोर बोलता है की हम सब ने मिल कर चुराया है तुम्हारे मटके को। और फिर वो सब उस मटके को वापस लौटा देते है और मुरली फिर सभी को छोड़ देता है।

एक दिन मुरली अपने खटिया पर सोया था। तभी वहा पर प्रेत आया और बोला की मुरली मुझे अब भगवान के पास जाना है क्यों की अब मेरा समय धरती लोक पर पूरा हो गया। अब मै जा रहा हु तुम अपना और मटके का ख्याल रखना और ऐसा कह कर वह स्वर्गलोक में चला गया। अब मुरली अकेले हो गया था। फिर कुछ दिन बाद वह अपने गांव को छोड़ कर एक शहर में चला गया और वहा पर एक किराये का मकान लेके रहने लगा और वही पर अपना जीवन यापन करने लगा। और फिर वही पर एक दूध वाले से बोला की मेरे लिए रोज दूध ला देना तब वह डच वाला बोलता है की ठीक है मै रोज दूध दे दूंगा आप को फिर वह दूध वाला मुरली को रोज दूध लेक देने लगा। और एक दिन वह वही पर एक लड़की से शादी कर लेता है और फिर वह उस जगह को छोड़ कर किसी दूसरे शहर में चला जाता है अपनी बीबी को लेके। और दूसरे शहर में जाके रहने लगता। फिर लगभग एक महीना हो जाता है। लेकिन मुरली कही कुछ काम करने नहीं जाता है। तब उसकी बीबी सोचती है की ये तो कही कुछ काम करने जाते नहीं है तो इनके पास पैसा कहा से आता है। फिर एक रात को जब दोनों एक साथ सोये थे तब उसकी बीबी ने पूछा की जब आप कुछ करते नहीं है तो आप के पास इतना पैसा कहा से आता है। तब मुरली उसको सारी कहानी बताता है। और फिर ये बात उसको भी पता चल जाता है।

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एक दिन अचानक मुरली का तबियत बहुत ज्यादा ख़राब हो जाता है। और उसे हॉस्पिटल जाने पड़ता है। फिर वह सोचता है की मटके को कही छुपा देता हु नहीं तो कही तो कोई इसे चुरा लेगा। फिर वह यही सोच कर वह उस मटके को एक जगह बहुत ज्यादा कूड़ा रखा था उसी में छुपा देता है और फिर अपना दवा करने हॉस्पिटल में चला जाता है और उसके जाने के बाद उसके घर पर एक कबाड़ी वाला आता है और बहार से आवाज देता है की कबाड़ वाला कबाड़ वाला उसकी आवाज को सुन कर मुरली की बीबी घर से बहार आती है। तब कबाड़ी बोलता है की मैम साहब कूड़ा है क्या तब वह देखती है की बहुत ज्यादा कूड़ा है। तब वह कबाड़ी वाले को बुलाती है और कहती है की। वहा पर जितना भी कूड़ा है उसे उठा लो फिर कूड़े वाला आता है। और वहा पर जितना कूड़ा था उसी को उठाने लगता है तभी वह देखता की वही पर एक बहुत ही सुन्दर मटका रखा है उसे देख कर वह उसको भी वहा से उठा ले जाता है और जाके किसी उसको अच्छे दाम में बेच देता है। फिर जब मुरली अपने घर आता है तो देखता है की वह मटका कही नहीं दिखा रहा है और वहा पर जो कूड़ा था वह भी नहीं दिख रहा है। फिर वह अपनी बीबी को बुलाता है और उससे पूछता है की यह का कूड़ा कहा गया तब वह बताती है की एक कबाड़ी वाला आया था मैंने उसको सारा कूड़ा बेच दिया है। अब बात सं कर वह वही पर बेहोश हो कर गिर जाता है फिर कुछ समय बाद जब उसको होश आता है तब वह सारी बात उसको बताता है लेकिन अब क्या हो सकता था क्यों की कबाड़ी वाला ये सब बेच कर कही और भाग गया था। इसी लिए कहा जाता है की अपने घर वालो से कोई भी बात नहीं छुपानी चाहिए।

लेखक:- अर्जुन आइना

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