कबाड़ीवाला की रहस्यमय कहानी
KabadiWala ki Rahsyamay Kahani
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक कबाड़ी रहता था उसका नाम हरिहर लाल था। हरिहर लाल बहुत ही गरीब आदमी था। कबाड़ बिन कर अपना रोजी रोटी चलाता था। हरिहर लाल के दो बेटे भी थे उनका नाम था हीरालाल और मोतीलाल। एक दिन की बात है उसके गांव के कुछ लोग उसे बहुत परेशान करने लगते है और उसे मारने पीटने लगते है किसी कारण से तो उसी दिन हरिहर अपने परिवार को लेके किसी दूसरे गांव में चला गया । और वही पर एक साहूकार के घर रहने लगा। फिर अब धिरे धिरे उसके दोनों बेटे भी बड़े होने लगे और और कुछ दिन बाद जब वह बड़े हो गए तो वह दोनों साहूकार के घर पर ही काम करने लगे हाथ बटाने लगे। जिस साहूकार के घर में ये लोग रह रहे थे उसी साहूकार की एक बेटी भी थी जो देखने में बहुत ही खूबसूरत थी। और एक दिन मोतीलाल और साहूकार की बेटी में प्रेम हो गया। फिर वह दोनों एक दूसरे से मिलने लगे। और एक दिन जब वह दोनों एक साथ में बैठे थे तभी साहूकार ने उन्हें एक साथ देख लिए। फिर उन दोनों को बहुत मारा पीटा।
और फिर उसके बाद साहूकार ने उन सभी को अपने घर से भगा दिया। और बोला की तुम जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो इतना बात सुन कर हरिहर उसे माफ़ी मांगने लगा लेकिन वह नहीं माना और उन सब को वहा से भगा दिया। तब फिर हरिहर अपने परिवार को लेके एक दूसरे गांव में चला गया। और वही एक सड़क के किनारे अपना एक छोटी सी झोपड़ी बना कर रहने लगा। और फिर वही अपना पुराना काम कबाड़ बीनने लगा और अब धिरे धिरे वह बूढ़ा होने लगा। तब एक दिन वह अपने दोनों बेटो से बोला की तुम लोग भी यही काम सीख लो। तब उसके दोनों बेटे बोले की पापा हम लोग को ये काम अच्छा नहीं लगता हम लोग कुछ और करेंगे और बहुत बड़े आदमी बनेगे। फिर हरिहर उनको समझाने की बहुत कोशिश करता है लेकिन वह दोनों नहीं मानते है।
फिर एक रोज हरिहर का बहुत ज्यादा तबियत ख़राब हो जाता है और कुछ दिन बाद उसके पिता दुनिया छोड़ कर चले जाते है। उसके बाद वह दोनों एकदम असहाय हो जाते है अब उनका देख भाल करने वाला कोई नहीं था। अब दोनों को समय से खाना भी नसीब नहीं होता था। फिर जब दोनों भूखे मरने लगे तब जो बड़ा बेटा हीरालाल था उसने अपने पापा के काम को ही सुरु कर दिया। और फिर कबाड़ बिन कर लाता और उसे बेच कर अपने भाई और अपना खर्चा चलाने लगा। फिर एक दिन मोतीलाल कहता है अपने भाई से की भैया आप अब यही काम करो मै अब शहर जाऊंगा और वहा पर कुछ अच्छा काम करूँगा। और फिर एक दिन मोतीलाल बाहर कमाने जाने लगा और फिर अपने भाई से बोला की भैया अपना ख्याल रखना मै बहुत जल्दी ही बहुत बड़ा आदमी बन कर आऊंगा। फिर मोतीलाल बाहर चला जाता है और हीरालाल अपना कबाड़ वाला काम ही सुरु रखता है। और मोतीलाल भी शहर पहुंच जाता है लेकिन वहा पर जाने के बाद उसे बहुत परेशानी होती है क्यों की उसे वहा पर कोई जानता भी नहीं था। और उसके पास पैसा भी नहीं था। जैसे तैसे वह अपना गुजारा कर रहा था। और दिन जब वह सड़क के किनारे सोया था तो उसी रास्ते से एक सेठ जा रहे थे। जिसका नाम धनीराम था। और वह उसे सड़क के किनारे सोते हुए देखते है।
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फिर उसे पूछते है की यहां पर क्यों सोये हो तुम्हारा कोई घर नहीं है क्या। तब मोतीलाल अपनी सारी कहानी बताता है और कहता है की साहब मै पिछले तीन दिन से भूखा हु मेरे पास कुछ खाने तक के भी पैसा नहीं है। और मै तो यहां पर कमाने आया था लेकिन कोई नौकरी नहीं दे रहा है। तब सेठ जी बोलते है की चलो मेरे पास मेरे पास बहुत काम है। क्या तुम करोगे। इतना सुनते ही मोतीलाल सेठ के पैरो में गिर जाता है। और कहता है की बिलकुल करूँगा सेठ जी आप जो काम देंगे मै एकदम मन लगा कर करूँगा। फिर वह उसको लेके अपने घर चला जाता है और वहा पर जाके उसको एक रूम देते है और कहते है की तुम पहले नहा लो फिर आके खाना खा लो उसके बाद मै बताऊंगा की तुम्हे क्या काम करना है। फिर मोतीलाल नाहा के खाना खा लिया और उसके बाद सेठ ने बताया की मेरा एक काम है गोली बन्दुक का सप्लाई का तुम कर लोगे न इसमें थोड़ा रिस्क है पर पैसा बहुत ज्यादा मिलेगा तो बोलो तुम कर लोगे न। फिर मोतीलाल कहता है की मै कर लूंगा। आप चिंता मत कीजिये फिर उसके बाद वह बन्दुक और गोली लेके बाजार में जाके जिसको जिसको देना होता उन सब को देने लगा।
फिर एक दिन जब वह बन्दुक और गोली लेके बाजार में गया देने के लिए तभी वहा पर एक आदमी उसे मिला और उसने मोतीलाल से कहा की मेरा एक काम है करोगे क्या। तब मोती बोला की बोलो क्या काम करना है अपने को तो बस दाम से मतलब है अगर अच्छा दाम दोगे तो मै करूंगा। फिर आदमी ने एक लड़की का फोटो दिखाया और बोला की इसका टपकाना है और पैसा भी तुम जितना चाहोगे मिलेगा। तब मोतीलाल बोला की ठीक है काम हो जायेगा और फोटो लेके वहा से चला गया। और अब उस लड़की को ढूढने लगा तभी एक दिन अचानक वही लड़की एक जगह दिखी और जैसे ही मोतीलाल उसको देखता है वह उसको देखते ही उसपे फ़िदा हो जाता है क्यों की लड़की बहुत ही खूबसूरत थी। और फिर मोतीलाल ने उसको गोली नहीं मारा और वहा से चल गया। तभी उसके पास उस आदमी का फ़ोन आया जिसने उसको मारने का सुपाड़ी दिया था। और उसने पूछा की काम हुआ की नहीं तब मोतीलाल बोला की साहेब काम हो गया। मैंने उसे मार दिया। अब वह कही नहीं दिखेगी। और फिर एक दिन मोतीलाल ने उसको एक जगह से किडनैप करके अपने घर लेके चला आया।
और जब घर चला आया तो कुछ दिन बाद उसने उस लड़की से पूछा की तुम कौन हो तब उसने बताया की मै श्यामलाल सेठ की लड़की हु। और मै दूसरे शहर में पढ़ती हु और मुझे बस दो दिन हुआ था यहां पर आये हुए और तुमने मुझे किडनैप कर लिया है बताओ क्या चाहिए तुम्हे तुमने मुझे क्यों किडनैप किया है। लेकिन मोटोलाल उसे कुछ बताता नहीं है और वहा से चला जाता है। फिर एक दिन हीरालाल उस लड़की को देखता और अपने भाई से पूछता है की कौन है ये लड़की तब मोतीलाल सारी कहानी को बताता है। और वह लड़की इतनी सुन्दर थी की अब हीरालाल भी उस लड़की पर फ़िदा हो जाता है। एक दिन मोतीलाल के फ़ोन पर एक कॉल आता है तब मोतीलाल उस कॉल को उठाता है और बोलता है की हेलो कौन। तब उधर से आवाज आता है की मोतीलाल मै धनीराम सेठ बोल रहा हु तुम्हारा मालिक तुम कहा हो बहुत दिन से दिख नहीं रहे हो। तब मोतीलाल बोलता है की साहब मै अभी घर आ गया हु। फिर सेठ कहता है की तुमको पता है मेरे भाई की बेटी कही खो गई है अगर तुम्हे दखे तो बताना मै उसका फोटो तुम्हारे पास भेज देता हु। तब मोतीलाल कहता है की ठीक है सेठ जी भेज दीजिये फोटो।
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फिर जैसे ही वह फोटो देखता है वह तो एकदम आचार्यचकित हो जाता है क्यों की वह जिसको किडनैप कर के लाया था उसी का फोटो था और श्यामलाल धनीराम का भाई था लेकिन ये बात इसको पता नहीं था। फिर वह सोचता है की मैंने ये क्या कर दिया अपने सेठ के भाई की बेटी का किडनैप कर लिया अब क्या होगा मेरा। फिर सोचा अब जो होना था वह तो हो गया है अब आगे जो होगा वह देखा जायेगा। फिर एक दिन मोतीलाल और हीरालाल कही बाहर गए थे और जब उधर से वापस आ रहे थे तभी उन्हें रास्ते में एक कागज का टुकड़ा मिला जिसमे कोई नक्शा छापा था। लेकिन मोतीलाल और हीरालाल पढ़े लिखे तो थे नहीं इस लिए वह दोनों उस कागज को लेके अपने घर चले आये। और लेक एक आलमारी में रख देते है। और अपने काम में लग जाते है। और जब सुबह होता है तब वह दोनों अपने काम पर निकल जाते है लेकिन उनका काम कुछ सही नहीं चल रहा था। और दिन जब वह दोनों काम पर गए थे तब जो लड़की थी (उसका नाम जुली था तो अब जुली भी उनके सवभाव को देख कर उनके साथ में घुल मिल गई थी ) उसने सोचा की क्यों न जब तक वह दोनों काम से वापस आते है तब तक मै खाना बना दू और यही सोच कर वह खाना बनाने जाती है तो देखती है की एक कागज का टुकड़ा अलमारी में रखा है। तब उसे वह खोल कर देखती है।
जब उसे खोल कर देखती है तो उसके एक नक्शा बना हुआ था फिर उसको जब वह पढ़ती है उसमे लिखा था की एक जंगल में एक जगह तीन पेड़ के निचे एक टोकरी रखा हुआ है और उसका रास्ता नक्शा में भी दिखा रहा था। फिर जब दोनों काम से वापस आते है तब जुली उन सब को ये सारी बात बताती है की। एक जंगल में तीन तरकुल का पेड़ है और उसके निचे एक सोने का टोकड़ी है और उसमे बहुत सारा सोना चांदी है। और कहती है इस कागज पर वह जाने का रास्ता में भी छापा है। तब हिरा बोलता है की चलो चलते है और सोना वह से लेके आते है तब जुली बोलती है की सुनो जब ये सोना चांदी मिलेगा तो हम तीनो में बराबर बटेगा अगर मंजूर हो तो बताओ। फिर मोती बोलता है की ठीक है चलो। फिर तीनो एक रात को चुपके से वहा पर पहुंच जाते है और फिर तीन तरकुल ढूढने लगते है फिर कुछ दूर जाने के बाद जुली उस तीनो पेड़ को देख लेती है। और फिर तीनो मिल कर उसे वह से खोद कर निकल लेते है और तीनो आपस में बराबर बराबर बाट लेते है और अपने घर आ जाते है। और फिर जब सुबह होता है तो जुली को भी मोतीलाल छोड़ देता है और को उसके घर पंहुचा आता है।
लेखक:- अर्जुन आइना
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