कालू की कहानी
Kalu ki Kahani
एक समय की बात है एक गांव था। उस गांव में सिर्फ मुस्लिम परिवार ही रहता था और उसी गांव में एक हिन्दू में परिवार भी आके रहने लगा। जो हिन्दू परिवार था उस परिवार में एक आदमी थे उनका नाम चुन्नू पांडे था। और चुन्नू पांडे का कोई संतान नहीं थी। और उनकी उम्र भी लगभग चालीस साल का हो गया था और उनकी बीबी का उम्र लगभग पैतीस साल हो गया था लेकिन अभी तक उनको संतान नहीं हुआ था। फिर कुछ दिन बाद बहुत पूजा पाठ करने के बाद उनके घर में एक लड़का पैदा हुआ। और जो लड़का पैदा हुआ था बहुत ही काला था। कोयले से काला था वह लड़का इस लिए उसका नाम कालू पांडे रखा गया। और गांव वाले उसे कलुवा कलुवा कह कर उसे चिढ़ाते थे हमेसा जिससे कालू पांडे बहुत परेशान रहता था। फिर कालू पांडे की पढाई चालू हो गया और स्कूल पढ़ने जाने लगा और अब धिरे धिरे वह बड़ा होने लगा और एक दिन वह जब बिस साल का हो गया तो। अपने पापा से बोला की पापा मै अब कमाने जाऊंगा तब उसके पापा बोले की तुम तो बाहर में किसी को जानते भी नहीं हो तो किसके साथ में जाओगे। तब कालू बोला की एक मेरा सोनू नाम का दोस्त है उसी के पास में जाँऊगा मैंने उससे बात किया है वह बुला रहा है मुझे अपने पास। तब उसके पापा बोले की ठीक है जावो। और फिर कालू अपने घर से बाहर चला गया कमाने के लिए।
फिर वह सोनू के पास पहुंच गया और सोनू के साथ में रहने लगा तब सोनू ने कहा की भाई तुम भी अपने लिए कुछ काम ढूढ लो क्यों की मै जहा काम करता हु वहा पर अभी कोई जगह खाली नहीं है। सोनू की यह बात सुन कर कालू बोला की ठीक है मै अपने लिए काम ढूढ लेता हु। और फिर वह काम ढूढने लगा और उसे बहुत कोशिश करने के बाद एक दर्जी के दुकान पर काम मिल गया। फिर कालू दर्जी के दुकान पर ही काम करने लगा। कालू जिस दर्जी के दुकान पर काम कर रहा था। वहा पर उसको पैसा बहुत काम मिलता था। जिससे कालू की जरुरत की चीज भी नहीं मिल पाती और ना ही वह घर पर कुछ पैसा भी नहीं भेज पाता था। जिससे कालू को बहुत दुःख होता था। फिर कालू ने एक दिन सोचा की क्यों न दर्जी के काम के आलावा और भी कोई काम कर लिया जाये ताकि उससे कुछ एक्स्ट्रा पैसा मिल सके और यही सोच कर वह अब इधर उधर जाके दूसरा जॉब भी ढूढने लगा। लेकिन बहुत ढूढने के बाद भी कोई जॉब नहीं मिली।
फिर एक दिन रात को जब कालू पांडे सोया था छत पर तभी अचानक उसको एक दिमाग आया और उसके सोचा की क्यों न यहाँ पर भी जजमानी किया जाये यह भी तो बहुत लोग पूजा पाठ कराते होंगे। फिर अब यही सोच कर पूजा पाठ कराने लगा। और उससे भी पैसा भी आने लगा और फिर उसी पैसा को घर पर भेजने लगा। फिर सोचा की क्यों न अब एक मंदिर पर ही रहा जाये वहा पर ज्यादा लोग आते है। फिर वहा पर ज्यादा पैसा मिलेगा। फिर वही पर एक काली माता का मंदिर था। वही पर जाके रहने लगा। और अब वह सुबह तीन बजे ही उठ जाता और चार बजे से आठ बजे तक मंदिर पर रहता और उसके बाद दस बजे से दर्जी के दुकान पर चला जाता और फिर शाम को पांच आ जाता और उसके बाद मंदिर पर चला जाता अब उसका यही रोज का रूटीन हो गया था। और उसके पास पैसा भी ज्यादा आने लगा था । अब कालू पांडे भी थोड़ा अमीर होने लगा। और फिर उसने अपने चलने के लिए वह एक गाड़ी ले लिया। और कालू अब धिरे धिरे फेमश होने लगा। और उसको अब सब लोग पंडित जी के नाम से जानने लगे।
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फिर जब उसके पास कुछ ज्यादा पैसा हो गया तब वह अपने लिए वही पर एक घर भी खरीद लिया और फिर अपने मां और पापा को भी वही पर बुला लिया। अब उसके पापा के आने के बाद अब उसके पापा भी उसके साथ में हाथ बटाने लगे। जिससे अब उसको और ज्यादा पैसा की फायदा होने लगा। जिससे उसने उसी शहर में अपने लिए थोड़ा सा जमीन ले लिया और उस जमीन में फूल का पौधा लगवा दिया और उस का फूल जो आने लगा उसको वह मंदिर के पास में ले जाके बेचने लगा और उसको उससे भी कुछ पैसा आने लगा। फिर कालू ने अपने पापा को उसी फूल की दुकान पर बैठा दिया । जिससे अब उसके पापा दुकान पर बैठने लगे और कालू पूजा पाठ कराने लगा। जिससे अब उसके पास और भी पैसा आने लगा और वह और भी अमीर होने लगा। और अब कालू बहुत ख़ुशी खुशी जीवन बिताने लगा।
एक दिन बात है जब कालू के पिता जी फूल की दुकान पर बैठे थे। तभी वहा पर एक आदमी आया जिसका नाम मुन्ना ठाकुर था। वह दुकान पर आते ही कालू के पिता से बोला की ये चाचा चलो हप्ता निकालो। तब कालू के पिता जी बोले की तुम कौन हो और मै तुम्हे क्यों हप्ता दू और ये हप्ता क्या होता है। तब मुन्ना ठाकुर बोला की मै यहां का दादा हु और यहां पर जो भी कोई दुकान लगाता है उसे हप्ता देना पड़ता है चलो तू भी हप्ता निकालो। तब कालू के पिता जी बोले की मै तुम्हे हप्ता नहीं दूंगा। इतना सुनते ही मुन्ना ठाकुर उनको मारने के लिए आगे बढ़ा तभी कालू वहा पर आ गया और मुन्ना ठाकुर का हाथ पकड़ लिया। और बोला की ठाकुर साहब आप ये क्या कर रहे है आप को हप्ता ही चाहिए न मै दे देता हु हप्ता आप को। और आप मेरे दुकान पर मत आइयेगा मै खुद आप के घर आ जाया करूंगा हप्ता देने के लिए। तब मुन्ना बोला की ठीक है। तुम मेरे घर पर आके हर हप्ते पैसा पंहुचा देना नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और इतना कहकर वह वहा से चला गया। फिर कालू अपने पापा को समझाया की पापा इन सब के मुँह नहीं लगते है ये सब अच्छे लोग नहीं है। और जब इतना पैसा कमा रहे है तो थोड़ा बहुत इनको देने से क्या हो जायेगा। तब उसके पापा बोले की ठीक है अब मै कुछ नहीं बोलूंगा इन सब को।
फिर एक हप्ते बाद कालू अपने वादे के मुताबिक हप्ता देने मुन्ना ठाकुर घर पंहुचा लेकिन वहा पर मुन्ना ठाकुर नहीं था वह कही गया था। फिर वह उसके घर का बेल बजाया तब वहा पर उसके घर की नौकरानी बाहर निकल तब कालू ने पूछा की ठाकुर साहब कहा है तब वह बताई की वह कही बाहर गए है तुम को क्या काम है तब कालू ने बताया मै पैसा देने आया हु। कोई और नहीं है क्या घर में तब वह बोली की मालकिन है। फिर उसने अपनी मालकिन पूजा को बुलाया (पूजा मुन्ना ठाकुर की बेटी है ) तब पूजा आई फिर उसने कालू को देखा तो देखते रह गई क्यों की कालू उसको पहली नजर में पसंद आ गया। और फिर कालू ने उसको पैसा दे दिया और वहा से चला गया। लेकिन पूजा उसको देखते ही रह गई। फिर कालू अब हर हप्ते उसके घर आता और पूजा उसको देख कर बहुत खुस होती लेकिन कालू से कुछ कह नहीं पाती थी। एक दिन जब घर पर कोई नहीं था और कालू आया तो उसके उसका हाथ पकड़ लिया और बोला की मै तुमसे प्यार करती हु। लेकिन कालू बोला की नहीं मै आप से प्यार नहीं कर सकता। अगर आप के पापा को पता चलेगा वह मुझे जान से मर देंगे। और यही कह कर वहा से चला गया। लेकिन पूजा कहा हार मानाने वाली थी। और जब वह वह दूसरी बार आया तो उसने उसको अपने बहो में भर लिया और बोला की लव यू बोलो नहीं तो मै तुम्हे जाने नहीं दूंगी। फिर कालू ने उसे लव यू बोल दिया और वह भी उससे प्यार करने लगा
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एक दिन की बात है कालू अपने दुकान से रात को जब घर जा रहा था तो उसने देखा की पूजा एक सड़क के किनारे बैठी है और वही बगल में एक कार को कुछ लोग बना रहे है। पास में जाके उसने पूजा से पूछा की तुम यहां पर क्या कर रही हो तब पूजा ने बताया की मेरी कार ख़राब हो गई। फिर कालू बोला की चलो मै तुमको तुम्हारे घर पर छोड़ देता हु। फिर पूजा उसके साथ घर जाने लगी तभी मुन्ना ठाकुर के कुछ गुंडे ने देख लिया और कालू को वही पीटने लगे। तब पूजा ने उनको पीछे किया और कालू को अपने साथ लेके अपने पापा के पास गई और बोला की पापा मै कालू से प्यार कराती हु और मुझे इसी से शादी करना है। फिर ये सब सुन कर मुन्ना ठाकुर कुछ सोचने लगा और कुछ समय बाद बोला की ठीक है मै तुम्हरी शादी इसी से करा दूंगा अब जावो और जाके सो जावो। और जैसे ही पूजा वहा से अपने रूम में गई फिर सब लोग इसको मारने लगे फिर उसकी नौकरानी ने जाके पूजा से जाके बताया की और जैसे ही उसने सुना की फिर कालू को सब लोग मार रहे है तो उसने उसके घर में जो बन्दुक था उसको ले के आई और अपने ऊपर पर तान ली और बोला की इसको छोड़ दो नहीं तो मै अपने आप को गोली मार लुंगी। फिर सब लोग ने उसे छोड़ दिया और फिर पूजा उसे लेके वहा से बहुत दूर भाग गई और वहा पर जाके उसने उससे शादी कर लिया और ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन यापन कराने लगे एक दूसरे के साथ।
लेखक:- अर्जुन आइना
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