साधु और किसान

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Shadhu Aur Kishan

एक बार एक गांव में एक किसान रहता था। वह अपने घर में अकेले था उसके माता पिता का बहुत समय पहले किसी बीमारी की वजह से दुनिया छोड़ कर चले गए थे जिससे अब वह घर में अकेले ही रह गया था। रोज दिन भर काम करता और रात को घर आता था। तो किसी दिन खाना बनाता और किसी दिन खाना नहीं बनाता और बिना खाना बनाये और खाये ही सो जाता। जिससे उसका शरीर भी अब कमजोर होने लगा था। ये सब देख कर उसके गांव वालो ने उसे समझाया की तुम शादी कर लो जो आएगी वह कम से कम तुम्हे खाना तो बना कर समय से खिलाया करेगी। ये बात सुन कर किसान सोचा की ये लोग सही बात बता रहे है क्यों न शादी कर ली जाये। फिर उसने एक लड़की से शादी कर लिया। जिससे अब उसको समय से खाना पीना मिलने लगा और बहुत खुशी से जीवन यापन करने लगा।

कुछ बाद अब किसान ने सोचा की अब अपना एक बच्चा भी होना चाहिए जिससे अपना परिवार बढ़ेगा और मेरा वंस भी एहि सोच कर वह अपनी बीबी से बोला की अब हमें एक बच्चा कर लेना चाहिए। बीबी भी बोली की ठीक है लेकिन बहुत प्रयास के बाद भी कोई बच्चा नहीं रहा था। तो एक दिन उसकी बीबी बोली की आप अब दूसरी शादी कर लो ताकि उससे बच्चा हो सके। लेकिन किसान इस बात को लेके राजी नहीं था। फिर बीबी के बहुत समझाने के बाद किसान शादी करने के लिए तैयार हो गया और उसने दूसरी शादी कर लिया। लेकिन उसकी दूसरी बीबी से भी बच्चा नहीं हो पाया तब एक दिन दोनों ने मिल कर समझाया की आप तीसरी शादी कर लो सायद उससे बच्चा हो जाये। ये बात सुन कर किसान को बहुत तेज से गुस्सा आया और वह उन दोनों को गाली देने लगा और वहा से चला गया अपने एक दोस्त कर घर। और वहा पर जाके उसने सारि बात आने दोस्त को बताया तो दोस्त ने भी उससे यही कहा की तुम दूसरी शादी कर लो सायद उससे तुम्हे पुत्र की प्राप्ति हो जाये। तब जाके किसान ने तीसरी शादी कर ली। लेकिन उपसोस उसका तीसरी बीबी से बच्चा नहीं हो पाया। तब किसान बहुत दुखी रहने लगा।

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एक दिन किसान अपने घर के बाहर एक चारपाई पर सोया था। तभी वहा पर एक साधु जी आये और और बोले की हे बच्चा साधु बाबा को कुछ खाने के लिए देदो तुम्हारी संतान सुखी रहेगी। अब इतना सुनते ही किसान अपने चारपाई से उठ कर साधु के चरण में गिर गया और बोला की बाबा आप ने मुझे आशिर्बाद दिया की मेरी संतान सुखी रहे लेकिन मेरी एक भी संतान नहीं और मेरी तीन बीबी है लेकिन तीनो से एक भी संतान की प्राप्ति नहीं हुआ है अभी तक। मै बहुत परेशान हु इस बात को लेके कैसे मेरा वंस आगे बढ़ेगा। साधु उसकी बात को सुन कर बोले की उठो बच्चा और तुम टेंशन मर लो तुम्हरी संतान हो जाएगी बस मै जो बता रहा हु उसको पूरा कर देना। तब किसान अपने दोनों हाथ जोड़ कर बोला की बताइये बाबा मुझे क्या करना होगा। तब साधु जी बोले की तुम कल सुबह चार बजे गंगोत्री नदी चले जाना और उसका पानी लाके अपने बीबीवो को पीला देना तुम्हारी तीनो बीबी से एक एक बच्चा हो जायेगा। तब किसान बोला की ठीक है बाबा मै ऐसा ही करूँगा। फिर उसके बाद साधु बाबा वहा से चले गए।

साधु बाबा के जाने के बाद किसान अपनी तीनो बीबीवो को बुलाता है और सारि बात बताता और कहता है की मै नदी से पानी लेने जाऊंगा तुम लोग घर पर ही रहना अच्छे से और बोला की नदी बहुत दूर है तो मुझे आने में पांच दिन लग जायेगा। तब उसकी बिबिया बोली की ठीक है जाइये और अपना ख्याल रखियेगा। फिर उसके बाद किसान चल दिया नदी की ओर और जाते जाते उसे रास्ते जंगल दिखा जो देखने में बहुत ही भयंकर दिख रहा था और जंगल इतना घना था की दिन में अँधेरा था। फिर वह किसान जैसे तैसे उस जंगल के अंदर गया और जब जंगल के अंदर पंहुचा तो देखता है की वहा पर एक मकान है। तब किसान सोचता है की चलो इसी में कुछ समय आराम किया जाये। और यही सोच कर वह उस मकान के अंदर चला जाता है। और फिर कुछ समय तक वहा पर आराम किया और फिर वहा से अपने रास्ते में चल दिया और जब वह जंगल की रास्ते जा रहा था तो जंगल में बहुत सारे मानव के ककाल और जंगली जानवर दिख रहे थे और वह डरते डरते आगे बढ़ रहा था।

कुछ दूर जाने के बाद वह अचानक देखता है की कुछ लोग एक नदी में मछली पकड रहे है। और फिर देखता है की एक गिरगिट उनके जाल को फाड़ देता है। और जैसे ही गिरगिट जाल को फाड़ता है तो मछुआरे उसे देख लेते है और फिर उसे मारने लगते है तभी वहा पर किसान पहुंच जाता है और बोलता है की भाई ऐसे मत मारो और इसने जो आप लोग का नुकसान किया है उसकी भरपाई मै कर देता हु और फिर किसान ने उसे कुछ पैसा दिया और गिरगिट को छुड़ा लिया और फिर आगे बढ़ने लगा तभी कुछ दूर जाने के बाद देखता है की एक तोता दर्द के मारे तड़प रहा है तब किसान उससे पूछता है क्या हुआ तोता भाई। तब तोता बोलता है की मुझे भूख लगी है उसकी बात को सुन कर किसान उसे कुछ खाने के लिए देता है और जब तोता खा लेता है तो वही भी उसके साथ चल देता है फिर कुछ दूर जाने के बाद देखता है की। एक सपेरा एक नाग को पकड़ के कही ले जा रहा है तब वह उससे बोलता है की भाई साप को मुझे देदो फिर सपेरा उसे साप देके वहा से चला जाता। अब किसान तीनो को साथ में लेके आगे बढ़ने लगता है।

और किसान अपनी गति को बढ़ाते हुए जल्दी जल्दी जल्दी आगे की बढ़ा रहा था क्यों की उसे गंगत्रि नदी के पास जाना था जो अभी बहुत दूर था और रास्ते में भी बहुत अजीब गरीब थे फिर कुछ दूर जाने के बाद वह अचानक एक सैतान के महल में पहुंच गया और वहा जाने के बाद देखता है बाहर जाने का कोई रास्ता ही नहीं है अब किसान एक दम डर गया और सोचने लगा की अब मै क्या करू लगता है की मेरा आज ही अंत हो जायेगा इसी महल में क्यों की बाहर जाने का कोई रास्ता तो दिख ही नहीं रहा है और यही सब सोच कर वह रोने लगा उसकी रोने की आवाज को जब गिरगिट ने सुना तो पूछा की क्या हुआ क्यों रो रहे हो। तब किसान बताया की अब मै इससे बाहर नहीं जा पाउँगा तब गिरगिट बोलाकि तुम टेंशन मत लो मै हु न और इतना कह कर वह महल को चारो तरफ से देखने लगा फिर उसे एक होल दिखाई दिया तब गिरगिट बोला की तुम इसी रास्ते बाहर निकल जावो और फिर तीनो उसी रास्ते बाहर निकल गए और आगे बढ़ने लगे।

और जब वह आगे की बढ़ रहे थे तब किसान सोचता है की कितनी बाधा आ रही है मेरे रास्ते में मुझे लगता है की मै नदी का पानी लेके अपने बीबीवो के पास नहीं पहुंच पाउँगा और यही सब सोचते हुए वह आगे की वोर बढ़ता जा रहा था तभी अचानक वह चलते चलते गिर गया जिससे उसके सर में चोट लग गई और वह वही पर बैठ गया और जब वह वहा पर बैठ गया तो उसके साथ में जो लोग थे वह भी बैठ गए। फिर किसान बोला की लगता है। की मै नहीं पहुंच पाउँगा नदी के पास और वही पर बैठ कर रोने लगता ह। तभी तोता बोलता है देखो भाई जब मुझे भी भूख लगी थी मै भी यही सोच रहा था की लगता है की मै अब नहीं जी पाउँगा और आज भूख के मारे मै मर जाऊंगा लेकिन तभी तुम आये और मुझे खाना खिलाया तो ये बात याद रखो अगर रास्ते में कठिनाई आती है तो हमें थक कर बैठना नहीं चाहिए बल्कि और दुगुनी मेहनत के साथ उसी बाधा का सामना करना चाहिए और दिर हमें मंजिल मिलता है। तोता की बात सुन कर किसान के जान में जान आती है और वह फिर वहा से उठ कर आगे चल देता है।

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और जैसे ही वह कुछ दूर जाता है तो देखता है की एक नदी बहुत तेज धार के साथ बह रही है जिसमे पानी भर पाना मुश्किल है तब साप बोलता ही की तुम एक काम करो मेरी पूछ को पकड़ लो और मै इस पेड़ में लपटता हु और इतना कह कर वह पेड़ को लपेट लिए और फिर किसान ने उसके पूछ को पकड़ कर अपने लोटे में पानी को भरा और फिर वापस जाने लगा तभी उसके साथ में जो जानवर आये थे सब ने बोला की अब हमारा काम भी पूरा हो गया है अब हम लोग भी यही रहेंगे तुम एक काम करो अब तुम यह से अकेले वापस जावो और फिट सब ने मिल कर उसको वहा से बिदा किया। फिर किसान वहा से अपने घर आया और अपने घर पर आके अपनी तीनो पत्नियों को पानी पिलाया और फिर कुछ समय बाद उसके तीन संतान हुई जिससे किसान बहुत खुश हुआ और जाके बाबा को धन्यबाद दिया।

लेखक:- रत्नेश चौहान

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