बदले की आग
Badale ki Aag
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में शिला नाम की एक औरत रहती थी। उसके घर में उसकी पांच बेटी उसके साथ में रहती थी। जिनका नाम था गंगा यमुना सरस्वती और चम्पा चमेली और वो पाचो की देखभाल किया करती थी। और जब कुछ समय बाद उसकी पाचो बेटी बड़ी हो जाती है तब वो पाचो स्कूल जाने लगी जिसमे चम्पा और चमेली एक साथ एक स्कूल में पढ़ती थी और गंगा यमुना सरस्वती एक साथ एक स्कूल में।कुछ समय तक ये पढ़ाई चलता रहा लेकिन कुछ समय बाद ये पढ़ाई का क्रिया कलाप बंद हो गया और शिला अपनी बेटियों के साथ अपने घर में रहने लगी। और अपने मन ही मन सोच रही थी की अपनी बेटियों की शादी कर दी जाये क्योकि बेटी सब बड़ी हो गई है और इधर उधर आना जाना लगा रहता है । तभी एक रोज शिला अपनी लड़की के लड़का देखने के लिए किसी गांव में जाती है। और जब रास्ते में जाती है तो उसे रास्ते में के जंगल मिलता है और उस जंगल को पार करते करते दोपहर हो जाता है।
जिस जंगल से शिला जा रही थी उसी जंगल में नाग और नागिन रहा करते थे लेकिन ये बात शिला को पता नहीं था। और वो अपने मगन में चली जा रही थी तभी अचानक कुछ दूर जाने के बाद वह उस नाग और नागिन को देख लेती है और जैसे देखती है तो वह से भाग जाती है और भाग कर एक गांव में पहुंच जाती है और जा कर वहा के लोगो को बताती है तो तो गांव के कुछ लोग उस नाग नागिन को मारने के लिए जंगल की वोर आते है लेकिन वो लोग नाग और नागिन को मार नहीं पाते है। और फिर शिला वहा से दूसरे गांव में चली जाती है अपनी बेटी के लिए लड़का देखने लेकिन उस गांव में भी कोई नहीं लड़का नहीं मिलता है तो वो निराश होके उसी रास्ते अपने घर को आने लगती है। और जैसे ही वह उस जंगल में आती है तभी आगे से नाग और नागिन उसको आ के रोक लेते है। और शिला से नाग बोलता है की तुम मुझे एक छोटा सा साप समझ रही थी लेकिन हम लोग कोई छोटा सा साप नहीं है हम लोग इच्छाधारी नाग नागिन है। हमें मारना इतना आसान नहीं है और तभी नागिन बोलती है अब मै शिला को मार दूंगी । इतना सुनते ही शिला एकदम डर जाती है और वही खड़ी हो जाती है और सोचती है की अब क्या करू आगे जाने का रास्ता भी बंद कर दिया है इन दोनों ने की करू अब।
तभी अचानक वहा पर कुछ घोड़े के पैरो की आवाज सुनाई दी और जैसे शिला ने सुना आवाज तो जोर जोर से चिल्लाने लगी बचावो बचावो तब शिला की आवाज को सुन कर एक राजकुमार आ जाते है जो अपने घोड़े पर बैठ कर कही जा रहे थे। और देखते है की दो नाग और नागिन एक औरत को घेर कर खड़े है तो समझ जाते है की ये इस औरत को मारना चाहते है तब उस औरत को बचाने के लिए राजकुमार अपने घोड़े से उतर कर अपने तलवार से नाग का अंत कर देते है। इतना देख कर नागिन वहा से भाग जाती है। और फिर राजकुमार शिला को अपने साथ लेके राजमहल में पहुंच जाता है और वहा पर पहुंच कर शिला राजा से अपनी बेटी गंगा की शादी की बात करती है। तब राजा भी उसकी बात को मान कर उसको बोलता है की ठीक है हम लोग एक महीने बाद आप के घर बारात लेके आएंगे। उसके बाद राजे की सेना शिला को लेके उसके घर पर पंहुचा आती है।
और जब शिला अपने घर आती है तो देखती है की गंगा रो रही है। फिर शिला पूछती है की तुम क्यों रो रही तो गंगा कुछ बताती नहीं है और वहा से चली जाती है फिर शिला सोचती है सायद मै घर पर नहीं थी तो इस लिए रो रही थी। फिर जैसे तैसे एक महीना बीत जाता है और जैसे एक महीना हो जाता है तो पुरे बैंड और बाराती के साथ शिला के घर पर बारात लेके आते है और फिर शादी का कार्यकर्म होता है और फिर शादी होने के बाद गंगा की बिदाई होती है। और जब गंगा की बिदाई हो जाती है तो तब शिला सोचती है की अब दूसरी नंबर पर यमुना की भी शादी कर देनी चाहिए क्यों की अब यमुना भी जवान हो गई है। फिर एक दिन शिला यमुना के लिए भी लड़का ढूढ़ने निकल जाती है और फिर उसी रास्ते से जाती है जिस रास्ते गंगा के लिए लड़का देखने गई थी और कुछ दूर जाने के बाद फिर वही जंगल पड़ा और शिला देखती है की नाग का शव लेके नागिन वही पर घूम रही है। और नागिन के आँखों में बदले की भावना नजर आ रही है। तभी नाग का शव बोलता है की जिस तरह हम दोनों जुदा हो गए उसी तरह तुम भी सबको जुदा कर देना किसी का परिवार मत बसने देना। और शिला ये सब देख और सुन कर डर जाती है। और वहा से चली जाती है।
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फिर कुछ दूर चलने के बाद शिला एक गांव में पहुंची । और उस गांव में एक गवार रहता था। फिर शिला ने उस से बोली की मेरी लड़की के लिए एक लड़का चाहिए तुम्हारे नजर में कोई लड़का है क्या। तब गवार ने कहा की ठीक है मै ढूढूंगा हु फिर सुबह में जाके पूछती है उस आदमी से की क्या हुआ लड़का मिला की नहीं तब वह आदमी बोलता है की एक सेठ का लड़का है अगर उससे करना होतो बताओ लेकिन सेठ का लड़का थोड़ा शराबी है। फिर ये सब सुन कर शिला सोचती है की चलो शादी कर देते है शादी होने के बाद वो सुधर जायेगा फिर उसके बाद शिला और गवार मिल कर सेठ के घर पहुंच जाते है शादी की बात करने के लिए और फिर सेठ के घर पहुंच कर बात चित होता है और फिर यमुना की भी शादी तय हो जाती है और यमुना की शादी शनिवार को रख दिया जाता है और शादी का दिन रख कर शिला अपने घर चली आती है और आके शादी की तैयारी सुरु कर देती है। फिर शनिवार को यमुना की बारात आती है और यमुना का भी शादी हो जाता है और वो अपने घर चली जाती है।
और कुछ दिन बाद शिला सोचती है की अब सरस्वती का भी शादी कर दिया जाये और एहि सब सोच कर शिला उसके लिए भी लड़का ढूढने लगती है और लड़का ढूढते ढूढते कई महीना हो जाता है। तभी एक दिन शिला बाजार से वापस आ रही थी तभी वहा से दूध वाले से भेट होता है तब शिला उससे बोलती है की मै अपनी बेटी के लिए लड़का ढूढ़ रही हु अगर कोई लड़का हो तो बताओ फिर दूध वाला बोलता है की है न एक लड़का है। मेरे चाचा का एक लड़का है उनके यहां बात चलावो सायद शादी हो जाये फिर शिला उससे उनके घर का पता लेती है और उनके घर चली जाती है बात करने के लिए और जा के शादी की बात करती है। तब सरस्वती का भी शादी तय हो जाता है और सोमवार के दिन शादी तय हो जाता है। जब ये बात सरस्वती को पता चलता है तो वह बहुत दुखी होती है क्यों की सरस्वती किसी लडके से प्यार करती थी और वो उसी से शादी करना चाहती थी फिर सोचती है की शादी के दिन ही अपने प्रेमी के साथ मै भाग जाउंगी ठीक ऐसा ही होता है जिस दिन उसके दरवाजे पर बारात आती है उसी दिन सरस्वती अपने प्रेमी के साथ भागने की कोशिश करती है और कुछ दूर निकल जाती है तभी चंपा और चमेली उसे देख लेती है और उसको पकड़ कर बोलती है की दीदी दीदी कहा जा रही हो आज तुम्हारी शादी है तब सरसवती सारी बात बताती है उन दोनों से। तब वो दोनों उसे समझाती है की तुम्हारी बारात दरवाजे पर आ गई है और अगर तुम भाग जावो गी तो मां का क्या इज्जत रह जायेगा और तुम्हारे भागने से हम दोनों का भी शादी नहीं हो पायेगा तुम ऐसा मत करो ये सब बात सुन कर सरस्वती भागने से मना कर देती है और फिर अपने घर आ जाती है। उसके बाद सरस्वती भी अपने घर शादी कर के चली जाती है।
फिर सरस्वती सोचती है की अब चंपा की भी शादी कर दी जाये और फिर उसके लिए शिला लड़का ढूढ़ने लगती है लेकिन कोई लड़का नहीं मिलता है बहुत जगह खोजने के बाद भी। फिर कुछ दिन बाद शिला एक महेशपुरा नामक गांव में पहुँचती है जहा पर एक पंडिंत रहता था और उसका एक बेटा था जिसका नाम दिग्यविजय था और पंडित उसका शादी करना चाहता था। तब शिला का भेट उससे हुआ तो उनके अपनी लड़की की बात पंडित से की और फिर दोनों का शादी तय हो गया और चम्पा की शादी शुक्रवार को तय हो जाता है। और फिर शुक्रवार को पंडित के घर से बारात आती है और चम्पा की शादी होती है और चम्पा भी अपने घर चली जाती है शादी कर के अब बची थी केवल चमेली फिर कुछ दिन बाद वह चमेली की भी शादी कर देती है और वो भी अपने घर चली जाती है
अब सबकी शादी हो गई थी सब लोग अपने अपने घर चले गए थे और इधर शिला अकेले अपने घर में रहने लगी और एक दिन जब शिला सोइ थी तो उसके सपने में वही नागिन आती है और कहती है अब मै फिर वापस आ गई हु अब मै किसी को छोडूंगी तुमने मेरा स्वाग छीना है मै तुम्हारी पाचो बेटियों का स्वाग छीना लुंगी और ये बोल कर हसने लगती तभी अचानक शिला का नींद खुल जाता है और वो एकदम डर जाती है फिर एक दिन जब शिला कही जा रही थी तभी नागिन उसके सामने आ जाती है और उससे बोलती है सबसे पहले मै गंगा की पति को मारूंगी ये बात सुन कर शिला अपने हाथ को जोड़ कर बोलती है देखो अभी उसका नया नया घर बसा है तुम ऐसा कुछ मत करना तब इसपे नागिन कहती है मेरा भी नया नया ही शादी हुआ था लेकिन तुम लोगो ने मेरी पति की अंत कर दिया मै अब किसी को नहीं छोडूंगी इतना कह कर वो चली गई तब शिला सोचती है मै गंगा को ये सारी बाते बता दू और बताने के लिए उसके घर की वोर चल देती है लेकिन शिला के पहुंचने से पहले ही नागिन गंगा के घर पहुंच जाती है और गंगा का रूप पकड़ कर राज कुमार को एक बहुत ही उचे पहाड़ पे लेके चली जाती है और वह से निचे फेक देती है। जिससे राजकुमार का अंत हो जाता है।
फिर नागिन शिला के घर आती है और कहती है अब मै यमुना के पति का अंत करुँगी ये बात सुन कर शिला रोने लगी और कहने लगी कि तुमने पहले ही गंगा के पति का अंत कर दिया है अब उसको तो छोड़ दो। लेकिन नागिन कुछ नहीं सुनती है और वहा से चली जाती है। और फिर यमुना का रूप पकड़ कर शेठ के बेटे को शराब की भट्ठी में ले के चली गई और शराब में जहर मिला देती है जिससे सेठ का लड़का उसको पी कर वही मर जाता है और नागिन वहा से चली जाती है और फिर शिला के घर पहुँचती है और उसे बताती है की मैंने यमुना के पति को भी मार दिया इतना सुनते ही शिला बोलती है तुम नागिन नहीं डायन हो तुम्हे नरक में भी जगह नहीं मिलेगा। और इतना बोलते ही शिला बेहोश हो जाती है।
फिर कुछ दिन बाद सरस्वती के पति देव कही जा रहे थे तभी अचानक नागिन उनके आगे से आके उनको घेर लेती है जिसको देख कर सरस्वती के पति का बहुत बुरा हाल होता है और वो डर के मारे पसीना पसीना हो जाते है। और फिर भागने की कोशिश करते है लेकिन वो ज्यादा दूर भाग नहीं पाते है और नागिन उनके पैर में डस लेती है जिससे वही पर उनका अंत हो जाता है। और फिर नागिन शिला के घर जाती है और उससे कहती है की मैंने सरस्वती के पति को भी मार दिया। इतना सुन कर शिला बोलती है की अब तो रहम करो कितनो को मरोगी सब को तो मार दिया। लेकिन नागिन के ऊपर उसके बात का कोई असर नहीं पड़ता है और वो वहा से चली जाती है। और फिर किसी तरह से चम्पा के पति को मार देती है और फिर उसके बाद शिला के घर आती है और बोलती है मैंने तुम्हारी बेटियों की पतियों का हत्या कर दिया इतना सुने ही शिला उसको मारने की कोशिश करती है लेकिन नागिन बच जाती है और फिर उससे बोलती है आज मेरा बदला पूरा हुआ जैसे तुमने मेरे पति का अंत कराया था मैंने भी तुम्हारी बेटी की पतियों का अंत कर के अपना बदला ले लिया और इतना कह कर वो हमेशा के लिए कही दूर चली जाती है
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लेखक :- अर्जुन आइना
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