छुवना बाबा का मंत्र और भुलई

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Chuwana baba ke mantr aur bhulai

एक समय की बात है एक गांव था और उस गांव में एक बाबा रहते थे और उनका नाम छुवना बाबा था। और वह बहुत ही ज्ञानी और सिद्ध पुरुष थे। वो इतने सिद्ध पुरुष थे की उनके पास जो भी आता उसकी मनोकामना को पूरा कर देते थे। और इसी वजह से उनके पास बहुत दूर दूर से लोग आते थे और वो उनकी हर एक मनोकामना को पूरा करते रहते थे। जिस वजह से उनका बहुत दूर दूर तक नाम हो गया था और वो भी बहुत खुश होते लोगो की मनोकामना को पूरा कर के। और ऐसा ही बहुत दिन तक चलता रहा।

फिर एक दिन एक आदमी उनके पास आया अपनी एक मनोकामना को लेके और बाबा के पास जाके बैठ गया और जाके बाबा मुझे एक समस्या है तब बाबा बोले ” बोलो बच्चा क्या समंस्या है तुम्हारी ” इतना सुन वो आदमी चुप हो गया और वह अपनी समस्या को बताने में शर्मा रहा था। जिस वजह से कुछ बोल नहीं रहा था। फिर बाबा बोले कोई बात नहीं तुम अपना नाम बताओ बच्चा क्या है तुम्हारा नाम। तब बोला की बाबा मेरा नाम भुलई है। फिर बाबा बोले ” ठीक है भुलई बाबू अब तुम अपनी प्रॉब्लम को बताओ क्या है तुम्हारी प्रॉब्लम ” फिर भी भुलई बताने में शर्मा रहा था तब फिर बाबा बोले बताओ क्या हुआ है शर्मावावो मत अगर तुम नहीं बताओगे तो मुझे कैसे पता चलेगा की तुम्हारी समस्या क्या। तब जाके भुलई बोला ” बाबा मेरी यही समस्या है की मेरी एक बकरी है जिसकी उम्र पांच साल हो गया है लेकिन अभी तक एक भी बच्चा नहीं हुआ है बाबा मै बहुत परेशान हु उसको लेके आप कोई उपाय बताइये जिससे उसको बच्चा हो सके ” तब बाबा बोले की बस इतनी सी प्रॉब्लम है बच्चा। अच्छा ये बताओ तुम्हारे गांव में कोई डाक्टर नहीं है क्या या कोई बकरा नहीं क्या। तब भुलई बोला की बाबा मेरे गांव में डाक्टर भी और बकरा भी है और मैंने दोनों से मिलाया भी है उसे लेकिन दोनों से कुछ नहीं हो पाया और जब डाक्टर से नहीं हो पाया तब जाके आप का पता बताया है। बहुत उम्मीद लेके आप के पास आया हु कुछ कीजिये बाबा।

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बाबा बोले ” तुम टेंशन मत लो भुलई मै सब कुछ ठीक कर दूंगा लेकिन एक बात बताओ जैसे तुम्हारा नाम भुलई है तो तुम अपने नाम जैसे जो मै बताऊंगा उसे भूल तो नहीं जावोगे न “। तब भुलई बोला की “नहीं बाबा मै नहीं भूलूंगा आप बताइये क्या करना पड़ेगा मुझे ” तब बाबा बोले की ” मै एक लकड़ी पर एक मंत्र मार के देता हु और इसे ले जाके तुम बकरी को सुबह और शाम को बकरी के शरीर से संपर्क करा देना ये कुछ दिन में गर्भवती हो जाएगी ” । इतना बोल कर बाबा ने एक मंत्र पढ़ा और उसको दे दिया। फिर जब वह जाने लगा तब बाबा ने उसे रोका और बोला की “ध्यान रखना अगर ये लकड़ी पानी में टच हो गई तो उस पानी को जो पियेगा वह गर्भवती हो जायेगा”। तब भुलई बोला की ठीक है और वह लकड़ी लेके वहा से चल दिया। और वह बहुत ही ख़ुशी में जा रहा था की और सोच रहा था की अब मेरी बकरी गर्भवती हो जाएगी और यही सोच कर वह आगे चला जा रहा था।

तभी कुछ दूर चला और जैसे उसका गांव नजदीक आया तो उसके गांव में पास में ही एक कुआ था। तो जैसे भुलई कुए को देखा तो उसे प्यास लग गई तो भुलई सोचा की चलो पानी पि लेता हु और कुछ समय तक आराम भी कर लेता हु। फिर वह पानी पि के आराम करने लगा और आराम करते करते उसको वही पर नींद लग गई और वह वही पर सो गया। फिर कुछ समय बाद उसकी आँख खुली तो वह उठा और अपना गठरी को लेके कुए के पास गया और कुए के ऊपर रख कर वह मुँह धोने लगा और जब वह मुँह धो रहा था तभी वहा पर कुछ गांव में बच्चे आये और भुलई को चिढ़ाने लगे तब वह उन सब को मारने के लिए दौड़ा और जैसे दौड़ा तो उसके हाथ से लग कर वह गठरी उस कुए में गिर गया। और उसी गठरी में छुवना बाबा के द्वारा दिया हुआ मन्त्र वाला लकड़ी भी था। जो पानी में गिर गया था जिससे भुलई को बहुत तेज से गुस्सा आया और उन सभी लडको को बहुत मारा और गाली दिया और फिर वहा से अपने घर चला गया। लेकिन वह ये बात भूल गया की लकड़ी कुए में गिरी है और उसमे जो मंत है वह अब पानी के अंदर चला गया है और अब उस पानी को कोई भी पियेगा तो वह गर्भवती हो जायेगा।

फिर जब शाम को वह सोया था तो उसे अचानक यह बात याद आ गई और वह जोर जोर से चिल्लाने लगा। अब उसकी आवाज को सुन कर गांव के लोग उसके पास आ गए और उससे पूछने लगे की तुम क्यों जोर मचा रहे हो इतनी रात को। तब भुलई छुवना बाबा वाला पूरी बात बता दिया और उसकी बात को सुन पुरे गांव में हलचल मच गया क्यों की सब लोग उसी कुए का पानी पीते थे जिस कुए में वह लकड़ी गिरी थी। लेकिन उसकी बात को कुछ लोग मान रहे और कुछ लोग नहीं मान नहीं रहे थे। उसके बाद पुरे गांव के लोग मिल कर उस लकड़ी को निकलने की कोशिश करने लगे। लेकिन वो लोग लकड़ी को निकल नहीं पा रहे थे। और जितने लोग उस कुए का पानी पिए थे। उनके पेट धिरे धिरे दर्द होने लगा और वो सभी अब गर्भवती होने लगे। और उस गांव में शहर से भी कुछ लोग आये थे तो उन सब ने उसी कुए से पानी पिया था जिससे वो सब भी गर्भवती होने लगे। जिससे पुरे गांव और शहर में हलचल बच गया।

कुछ दिन बाद रात के समय कुछ चोर उसी रास्ते जा रहे थे कही चोरी करने जिस रास्ते में वह कुवा था जिसमे छुवना बाबा की मन्त्र वाली लकड़ी थी। और वो सब किसी गांव में चोरी किये और जब वह वापस आ रहे थे चोरी करके तो उन सब वह कुआ देखा और पास में जाके सब लोग बैठ गए। फिर एक चोर बोला की भाई बहुत तेज प्यास लगी है चलो हम सब पानी पि लेते है। और इतना कह कर वह उस कुए से पानी निकाला और सब लोग उन पानी को पिने लगे और जब सब लोग पानी पि लिए तो फिर वही पर आराम करने लगे और फिर कुछ समय बाद वह सब वहा से जाने लगे तभी एक चोर बोला की हम सब को बहुत दूर जाना है एक काम करते है थोड़ा पानी अपने पास में रख लेते है रास्ते में काम आएगा और इतना कह कर वह पानी एक बोतल में भर लिया और फिर वहा से सभी चले गए। और फिर सब चोर अपने घर पहुंच गए और जाके सारा सामान घर पर रख दिए और साथ में पानी भी रख दिए। उसके बाद उस पानी को उसके घर वाले भी पि गए और जब सुबह हुआ तो सबका पेट दर्द करने लगा। और सब लोग गर्भवती हो गए थे लेकिन किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की कैसे हुआ है ये सब।

कुछ दिन बाद भुलई के गांव के लोगो ने सोचा की अगर ये सही नहीं हुआ तो पूरा गांव ही गर्भवती हो जायेगा फिर सबने मिल कर एक डाक्टर को बुलाया और ये सारी बात उस डाक्टर से बताये तब डाक्टर बोला की ठीक है मै देखता हु इसको और सही करता हु। और फिर डाक्टर उस पानी को एक बोतल में रख कर अपने घर ले गया उसको चेक करने के और उसे ले जाके अपने रूम में रख दिया और फिर वह कही चला गया किसी काम से तब तक उसके रूम में उसको पत्नी और उसकी बेटी आई और सामने पानी देख कर दोनों ने पि लिया। और जैसे उन दोनों ने ये पानी पिया वो दोनों भी गर्भवती हो गई। और जब डाक्टर वापस आया तो देखा की उसकी बीबी और बेटी दोनों गर्भवती हो गई है ये सब देख कर अब डाक्टर भी सोच में पड़ गया की ऐसा कैसे हो सकता है और वो भो एक दम परेशान हो गया।

फिर कुछ दिन बाद छुवना बाबा किसी चेला से मिलाने के जा रहे थे और जिस रास्ते से जा रहे थे उसी रास्ते में वह कुआ और भुलई का घर था। और जब वह उस गांव में पहुंचते है तो देखते है गाय, भैस ,बकरी ,आदमी ,औरत ,लड़का ,लड़की सबका पेट फुला हुआ है और सब कोई गर्भवती है। ये सब देख कर वह सोच में पड़ जाते है। तब फिर छुवना बाबा ने वही पर खड़े एक आदमी से पूछा की ये सब क्या है और कैसे हुआ है। तब वह आदमी बाबा से बताया और कहा की ” क्या बताये बाबा हमारे गांव में एक भुलई नाम का एक आदमी रहता है और उसकी बकरी का बच्चा नहीं हो रहा था तो वह एक बाबा के पास गया था और वहा से एक लकड़ी लाया था और लकड़ी गलती से उनसे उस लकड़ी को कुए में गिरा दिया उसके बाद उस कुए का पानी जिसने भी पिया है सब गर्भवती हो गए है। “उसकी बात को सुन कर बाबा को सारी बात याद आई गई और वह सोचने लगे ये तो मैंने ही दिया था उसको और उसको बोला भी था की तुम ये लकड़ी कभी पानी से टच मत करना लेकिन उसने तो ये सब उल्टा कर दिया अब मै क्या करू मुझे अभी इसका मन्त्र भी नहीं पता की ये कैसे ठीक होगा। फिर बाबा वही से वापस अपने कुटी लौट गए और उसके बाद एक जंगल में चले और वहा पर जाके तपस्या करने लगे ताकि उसका कोई मन्त्र मिल सके और सभी को ठीक किया जा सके।

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फिर कुछ दिन तक तपस्या करने के बाद उनको हनुमान जी ने दर्शन दिया और बोले बोलो बच्चा क्या वरदान चाहिए मै तुम्हारी तपस्या से खुश हुआ। इतनी बात सुन कर बाबा ने अपनी आँख खोली और हनुमान जी को प्रणाम किया और सारी बात बताई उनको फिर हनुमान जी ने कहा की ठीक है मै तुमको एक लकड़ी देता हु तुम इस लकड़ी को ले जाके उस कुए में डाल देना लेकिन एक बात याद रखना ये लकड़ी डालने से पहले उस लड़की को कुए से निकल देना फिर इसको डालना और उसके बाद जो जो पानी पिया है उस कुए का उनको बोलना की दुबारा आके पानी पिए सब लोग ठीक जायेंगे। और फिर लड़की दिए और फिर वह अंतध्र्यान हो गए फिर बाबा ने वह लकड़ी लिए और अपने कुटी में चले आये और सोचे की चलो सुनब में जाके मै ये लकड़ी कुए में डाल दूंगा इतना सोच कर वह उस लड़की को अपने कुटिया में रख दिए। और फिर वह सो गए तभी रात में एक चोर आया और बाबा जी की कुटिया में चोरी करने लगा और चोरी करते करते वह उस लकड़ी को भी चुरा ले गया। और जब सुबह हुआ तो बाबा ने देखा की उनकी रख्खी हुई लड़की तो वहा पर है ही नहीं और भी बहुत कुछ चोरी हो गया है।

फिर वह उस लकड़ी को ढूढ़ने लगे और ढूढते ढूढते वह एक गांव में पहुंच गए जिस गांव में उनका कुटिया था और वहा पर जाके उस गांव मुखिया से ये सारी बात बताई की कैसे कैसे क्या हुआ है और उस मुखिया से बोलने लगे की उस लकड़ी को कैसे भी ढूढ़ कर लाइए नहीं तो कोई भी इंसान ठीक नहीं होगा गर्भाश्य से आप जितना जल्दी हो सके आप उसे ले आये। फिर उस गांव के मुखिया ने अपने गांव के सभी आदमी से कहा की कैसे भी कर के तुम सब उस चोर को पकड़ कर लावो जिसने छुवना बाबा के कुटिया में चोरी की है और उनका सारा समान चुराया है इतना बात सुन कर सभी गांव वाले उस चोर को ढूढने लगे। लेकिन वह चोर कही मिल नहीं रहा था। और उधर भुलई भी परेशान होक इस बीमारी का दवा ढूढ़ रहा था और वह ढूढते ढूढते थक गया तो सोचा की चलो ये जो सामने पलानी है ऐसी में कुछ समय तक सो जाता हु और वह वही पर सो जाता है। तभी कुछ समय बाद वो चोर भी उसी रास्ते से जा रहा था जिस रास्ते में भुलई सोया था और वह भी थक गया था तो जब सामने पलानी देखा तो वह भी सोचा की चलो आराम कर लेता हु इसी में। फिर वह भी उसी में आराम करने लगा।

तभी अचानक जो लोग उस चोर को ढूढ़ रहे थे वह भी वही पर आ जाते है और उनको देख कर वह चोर अपना सारा सामान वही पर छोड़ कर भाग जाता है तब फिर वो सब उस सामान को उठाते है और फिर बाबा को लेक देता है सारा सामान फिर छुवना बाबा अपना सारा सामान चेक करते है और देखते है लकड़ी उसी में है जिसको पा कर छुवना बाबा बहुत खुश होते है। और उसे लेकर उस कुए के पास जाने लगते है तभी रास्ते में उन्हें भुलई मिलता है तब बाबा उसको साथ में ले जाते और फिर उसको कहते है की तुम उस पुरानी लकड़ी को कुए से बाहर निकालो और फिर भुलई उस लकड़ी को बाहर निकलता है फिर उसके बाद दूसरी लकड़ी को छुवना बाबा डाल देते है और कहते है की जो जो इस कुए का पानी पिया है आके दुबारा पानी पीवो फिर सब लोग जाके उस कुए का पानी पीते है सब लोग ठीक हो जाते है। और फिर बाबा अपने कुटिया में वापस चले आते है।

लेखक:- अर्जुन आइना

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