मुर्ख भेलुआ और चार चोर
Murkh bhelua aur char chor
बहुत समय पहले की बात है। एक गांव था उस गांव में भेलुआ नाम का लड़का रहता था। भेलुआ के पास दिमाग नहीं था वो थोड़ा मुर्ख टाइप का लड़का था। वह जब भी शौच करने जाता तो लोटे में पानी तो भरता लेकिन रास्ते में जाते जाते उसको गिरा देता था और जब पानी गिर जाता तब वह वही पर शौच करता और किसी तरह मिटटी के अपना पिछवाड़े को साफ करता और फिर चला आता था। और ये उसका रोज का दिनचर्या था। और जब उसे खाना खाने के लिए कहा जाता था तो वह रोटी में सब्जी लपेट कर पुरे गांव में घूम घूम कर खाता था। जिस वजह से उसके घर वाले उससे बहुत ज्यादा परेशान रहते थे और वो पढ़ाई में भी ठीक नहीं था और जब स्कूल जाता तो बच्चो को परेशान करता उसका बस एहि रोज का काम था।
फिर एक रोज भेलुआ एक पेड़ पर चढ़ गया और जिस डाली पर बैठा था उसी डाली को काटने लगा। तो जो भो लोग देखते उसको बोलते की तुम ऐसे पेड़ मत काटो नहीं तो गिर जावोगे लेकिन वह किसी की बात नहीं सुन रहा था और पेड़ काटे जा रहा था। उसको बहुत लोगो ने समझाया लेकिन वह नहीं माना और डाली काटते रहा। फिर कुछ समय बाद उसी रास्ते से एक बाबा जा रहे थे जिनका नाम मुन्ना बाबा था और वह अपने मगन में राम का नाम लेते हुए जा रहे थे तभी अचानक देखते है की भेलुआ जिस डाली पर बैठा है उसी को काट रहा है। ये सब देख कर बाबा सोचते है की भेलुआ तो गिर जायेगा अगर ऐसे पेड़ काटेगा तो मुझे ऐसे रोकना पड़ेगा ये सब सोच कर मुन्ना बाबा बोलते है।अरे भेलु ये क्या कर रहे हो पेड़ पर चढ़ कर। और जिस डाली पर बैठे हो उसी को काट रहे हो निचे उतर जावो नहीं तो तुम भी डाली के साथ निचे गिर जावोगे। तब भेलुआ बोलता है अरे जा जा मै नहीं गिरूंगा आज तक तो कभी गिरा ही नहीं आप जावो अपना काम करो मै नहीं गिरूंगा। तभी अचानक डाली कट जाता है और भेलुआ निचे गिर जाता है और जोर जोर से रोने लगता है और कहता है की अरे बाप अरे माई चोट लग गया मुझे बाप रे बाप और ऐसा कह कर वो और जोर जोर से रोने लगता है। और फिर बाबा से बोलता है अरे बाबा हमके उठा दीजिये बहुत जोर से चोट लगा है तभी बाबा उसको उठाते है और एक जगह बैठते है और फिर कहते है की मैंने तो पहले ही कहा था की तुम निचे गिर जावोगे तो तुम मेरी बात माने ही नहीं।
इतना बात सुन कर भेलुआ बाबा के पैर में गिर जाता है और कहता है ये बाबा आप तो भगवान है आपने तो मेरा भभिस्य भी बता दिया आप मेरा हाथ देख कर बताइये की मेरी मृतयु कब होगी। तब मुन्ना बाबा उसके हाथ को देखते है और कहते है की तुम्हारी तो बहुत बड़ी आयु है तुम बहुत ज्यादा दिन तक जिओगे। तब भेलुआ बोलता है की नहीं नहीं आप गलत देख रहे है आप मेरा दूसरा वाला हाथ देख कर बताइये। तब मुन्ना बाबा उसके पास से उसको छोड़ कर जाने लगते है और बोलते है तुम मेरा पीछा छोड़ो तुम बहुत ही मुर्ख इंसान हो। तब भेलुआ फिर उनको दौड़ा कर पकड़ लेता है और पूछता है नहीं नहीं बताइये मेरी मौत कब होगी। फिर बाबा सोचते है की ये मेरा यइसे पीछा नहीं छोड़ेगा मुझे कुछ करना पड़ेगा। तभी वह पर एक धागा देखते है तो बाबा उस धागे को उठा कर भेलुआ को दे देते है और कहते है की जिस दिन ये धागा टूट जायेगा उस दिन तुम्हारी मौत हो जाएगी। फिर भेलुआ उस धागा को ले लेता है और अपने घर आ जाता है और उसे अपने घर के मिटटी के आलमारी में छुपा कर रख देता है।
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फिर वह रोज रोज उस धागे को आके देखता है की कही ये धागा टूट तो नहीं गया और उसके मन में डर पैदा हो गया था की अगर ये धागा टूट जायेगा तो मै मर जाऊंगा। फिर एक सुबह जब वह अलमारी को खोल कर देखता है की धागा तो दो टुकड़ा हो गया है। और फिर वह सोचता है की मै तो मर गया हु मै तो मर गया। अब एहि सोच कर घर से बाहर निकालता है और लोगो से कहता है की अरे मै तो मर गया मुझे ले चलो दफना दो मै तो अब मर गया हु। अब उसकी बात को सुन कर गांव वाले हसने लगते है लेकिन भेलुआ बार बार एक ही रट लगाए रहता है की मै मर गया हु मुझे दफना दो उसकी बात को सुन सुन कर उसके घर वाले परेशान हो जाते है और उसे ले जाके एक जगह पर एक गढ्डा खोदते है और उसमे उसका पूरा शरीर अंदर डाल देते है और उसका मुँह ऊपर छोड़ देते है । और अपने अपने घर चले जाते है और भेलुआ वह पर अकेले रहता है फिर धिरे धिरे रात हो जाती है।
और जैसे रात होती है किसी दूसरे गांव से चार चोर उसी रास्ते से जा रहे होते है जिस रास्ते में भेलुआ को दफनाया गया था। और जैसे ही चारो चोर उसके पास पहुंचते है तो उसको देख कर डर जाते है उसमे से एक चोर बोलता है की लगता है की भुत है तभी बाकि चोर बोलते है की हम लोग चोर है और हम लोग भुत से नहीं डरते है और ये कोई भुत नहीं है। और जब पास में जाके देखते है तो वो सब उसे पहचान जाते है और उससे बोलते है की अरे भेलुआ यह पर यइसे क्यों हो अपना पूरा शरीर जमीन के अंदर क्यों रखे हो। तब भेलुआ बोलता है की मै मर गया हु। तब चोर सब बोलते है की तुम जिन्दा हो मरे नहीं हो तब भेलुआ बोलता है की नहीं मै मर गया हु फिर चोर सब उसकी बात को सुन कर बोलते है की ठीक है अगर तुम मर गए हो तो। तब फिर भेलुआ बोलता है की अच्छा तुम लोग कहा जा रहे हो तब चोर बोलते है की हम लोग चोरी करने जा रहे है। तब भेलुआ बोलता है की मुझे भी ले चलो अपने साथ में मै भी चलूँगा। फिर चोर सब बोलते है की थी है चलो फिर तुम भी और उसके बाद अब पाचो चोरी करने के लिए चल देते है।
जब वो गांव में पहुंचते है तो एक सेठ के घर जाते है चोरी करने के लिए और जाके भेलुआ से बोलते है की सबसे पहले तुम अंदर जावो तो भेलुआ कहता है की ठीक है मै जाता हु अंदर और इतना बोल कर वह धिरे से दरवाजा खोल कर अंदर चला जाता है। और चोर सब बाहर खड़े रहते है। और जैसे भेलुआ अंदर जाता है तो देखता है वह पर अलग अलग प्रकार की मिठाई है और तरह तरह के पकवान है और ये सब देख कर भेलुआ को रहा नहीं गया और उसे भूख भी बहुत ज्यादा दिन से लगी थी। और भेलुआ तुरंत ये सब खाने लगा और भूल गया की वह चोरी करने आया है। और इतना खा लिया की उसका पेट फूल गया। और जिस वजह से उसके पेट में गैस बनने लगा और जब उससे रोका नहीं गया तो भेलुआ इतना जोर से पादा की पुरे घर में बदबू फ़ैल गया। और इतना जोर जोर से पाद रहा था की उस घर के सभी लोग जग गए उसकी पाद की आवाज को सुन कर। और फिर भेलुआ को पकड़ लेते है और उसके बाद उसे बहुत मारते है और मारते मारते उसका शरीर एक दम लूज कर देते है। उसके बाद जो बाहर चोर सब खड़े थे वो सब आवाज सुन कर वहा से भाग जाते है और चोरी भी नहीं कर पाते है।
और सब सुबह हुआ तो लोगो ने देखा की ये तो भेलुआ है और ये चोरी करने नहीं आया था ये तो पागल है इसे छोड़ दो और फिर लोगो ने उसे छोड़ दिया। उसके बाद जैसे तैसे वह फिर वही पर आ गया जहा पर उसे दफनाया गया था और आके फिर अपना पूरा शरीर जमीन के अंदर और मुँह बाहर निकाल लिया। और फिर सो गया। फिर तीन दिन बाद फिर उसी रास्ते वही चारो चोर कही जा रहे थे चोरी करने तभी उसको फिर से देख लेते है। और फिर उसके पास आके कहते है अरे भेलुआ तुम अभी तक यही पर सोये हो। क्यों घर नहीं गए। फिर भेलुआ कहता है की मै तो मर गया अच्छा तुम लोग कहा जा रहे हो। फिर चोर बोलते है की हम लोग दूसरे गांव में चोरी करने जा रहे है। फिर भेलुआ कहता है मुझे भी साथ में ले चलो। तभी एक चोर बोलता है की नहीं नहीं इसे मत ले चलो ये पिछली बार भी गया था तो वहा पर हम लोग चोरी नहीं कर पाए। फिर भेलुआ कहता है की नहीं नहीं मै इस बार कोई गलती नहीं करूँगा तब सब चोर बोलते है ठीक है चलो लेकिन इस बार कोई गलती मत करना और उसको साथ में लेके चल देते है।
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फिर सब लोग एक गांव में पहुंचते है और जिस गांव में पहुंचते है उसी गांव में एक पंडित का घर था तो सब लोग बोलते है की आज पंडित के घर पर चोरी करते है और इतना कह कर वो सब पंडित के घर चले जाते है और वहा पर जाके सब बोलते है भेलुआ से की एक काम करो इस बार तुम बाहर रहो और हम लोग अंदर जा रहे है। और इतना कह कर सभी चोर घर के अंदर चले जाते है चोरी करने के लिए और भेलुआ बाहर खड़ा था तभी अचानक उसकी नजर सामने रखे दही और चूड़ा पर पड़ जाती है जो उसके बगल में रखा था। और उसको देखते ही भेलुआ उसको खाने लगता है। और खा कर अपना पेट फुला लेता है तभी देखता है वह पर एक रस्सी बढी तब उसको अपने पेट पर बांध कर उसमे झूलने लगता है और जोर जोर से कहने लगता है की खींचो भाई खींचो भाई अब उसकी आवाज को सुन कर पंडित और पंडिताइन दोनों लोग जाग जाते है और चिल्लाने लगते है चोर चोर पकड़ो पकड़ो चोर चोर। अब ये आवाज सुन कर गांव वाले भी वह पर आ जाते है और चोर सब को पकड़ लेते है और उन सब को लगते है मारने और मारते मारते उन सब हाथ पैर सब तोड़ देते है। उसके बाद सब चोर मिल कर माफ़ी मांगते है तब जाके गांव वाले उन सब को छोड़ देते है। और फिर चोर वह से चले जाते है। और फिर भेलुआ भी उसी जगह पर आ जाता है और फिर उसी मिटटी में अपने शरीर को अंदर डाल लेता है और मुँह बाहर कर के सो जाता है।
फिर एक रोज एक लड़का और एक लड़की रात को उसी रास्ते से कही भागते हुए जा रहे है क्यों की वो दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे तो अपना घर छोड़ कर भाग रहे थे और तभी भागते भागते वो भेलुआ के पास पहुंच गए। और जब उसके पास पहुंचे तो देखते है की भेलुआ अपना पूरा शरीर जमीन के अंदर और मुँह बाहर किये हुआ है ये सब देख कर लड़का पूछता है की आप ऐसा क्यों किये है तब भेलुआ बोलता है की मै तो मर गया हु। तभी भेलुआ कहता है तुम लोग कहा जा रहे हो। तब लड़की सारी बात उससे बता देती है। तब भेलुआ कहता है चलो मै तुम सब को रास्ता बता देता हु। और इतना कह कर वो उन सब के साथ भागने लगता है और रात में वह कभी किसी गांव तो कभी किसी गांव और ऐसा करते करते वह फिर उसी गांव में लेके आ जाता है जहा से वह दोनों भागे थे और उस गांव में पहुंचते पहुंचते सुबह हो जाती है। और जैसे सुबह होती है तो वो दोनों अपना गांव देख कर सन रह जाते है और सोचते है हमें भागना था कही और और ये हम दोनों को फिर ऐसी गांव में लेके आ गया। और फिर गांव के बहुत सरे लोग आके उन दोनों को पकड़ लेते है और और भेलुआ को बहुत बहुत बधाई देते है फिर भेलुआ अपने उसी जगह पर आ जाता है और फिर उसी मिटटी में अपना शरीर अंदर के सो जाता है
फिर कुछ दिन बाद वही चारो चोर फिर उसी रास्ते से फिर चोरी करने के लिए जाते है और जैसे ही भेलुआ के पास पहुंचते है तो भेलुआ पूछता है क्या हल है भाई लोग कैसे हो आप लोग इतना सुन कर सभा चोर बोलते है की ठीक है फिर भेलुआ पूछता है की कहा जा रहे हो आप लोग तब चोर बोलते है की चोरी करने जा रहे है हम लोग तब फिर भेलुआ कहता है की मुझे भी ले चलो तब सभी चोर एक साथ में बोलते है की नहीं नहीं तुमको नहीं ले जायेंगे तुमने हम लोगो को पिछली बार बहुत मार खिलवाया है हम लोग नहीं ले जायेंगे तब भेलुआ बहुत विनती करता है तब जाके फिर चोर सब बोलते है की ठीक है चलो। और फिर सब लोग चल देते है चोरी करने।
फिर कुछ दूर चलने के बाद सब लोग एक गांव में पहुंचते है और जैसे ही उस गांव में पहुंचते है तो उस गांव में एक यादव जी का तबेला था। तो उसी तबेले में ले जाके भेलुआ को बाढ दिए और उसके बाद घर के अंदर जाके सारा सामान एक बोर में भर लिए। और फिर धिरे धिरे जब लोग जाने लगे तब भेलुआ सोचता है मै तो बढ़ा हु और ये सब लोग मुझे बिना खोले और बिना साथ लिए जा रहे है। ये ही सब सोच रहा था तभी अचानक वह एक साप देख लेता और साप देखते ही वह बेहोश हो जाता है। तभी वहा पर कुछ चूहे आते है और वह सब भेलुआ का रस्सी को काट देते है। तब भेलुआ देखता है की वहा और कही जाने का रास्ता ही नहीं है तब भेलुआ जाके सभी गायो को ख़ोल देता है जिससे उन सब को रास्ता तो पहले से ही पता था और वह सब खुलते ही भागने लगाती है और संजोग बस जिस रास्ते से चोर सब चोरी करके भाग रहे थे उसी रास्ते से गाय भी भागने लगी। और गायो के भागने की आवाज को सुन कर सभी गांव वाले जग जाते है |और उनको पकड़ने के लिए दौड़ने लगते है। तभी चोर सब को लगता है गांव वाले उन्हें पकड़ने के लिए आ रहे है तो वो सब भी सामान छोड़ कर भागने लगते है। और फिर वह बहुत दूर भाग जाते है और भेलुआ फिर उसी जगह आ जाता है और फिर अपना शरीर जमीन के अंदर और मुँह बाहर निकाल कर सो जाता है और आसमान की तरफ देख कर कहता है की मै तो मर गया हु।
लेखक:- अर्जुन आइना व मुन्ना मौर्या
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