समय का खेल
Samay Ka Khel
चिंटू एक छोटे से गांव में रहता था। वह बहुत ही अमीर आदमी था। क्यों की उसके पिता जी बहुत ही बड़े ब्यापारी थे जिस वजह से उसके पास बहुत ही ज्यादा पैसा था। एक दिन अचानक किसी कारण वस उसके पिता जी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। और अब चिंटू घर में अकेला हो गया। क्यों की उसक घर में वह और उसके पिता बस दो लोग ही रहते थे। और अब पिता जी के जाने के बाद वह एकदम अकेला हो गया। फिर कुछ दिन बाद उसने एक लड़की से अपनी शादी कर ली और शादी के बाद उसके दो बेटे भी गए है। फिर जब चिंटू के बच्चे अब थोड़े बड़े हो गए तो उसकी पत्नी ने कहा की सुनो जी गांव में अच्छा पढाई लिखाई नहीं होता है चलिए न किसी शहर में चलते है। और वही पर आप अपना कुछ काम कर लेना और अपने बच्चे भी वही पर अपनी पढाई लिखाई पूरी करेंगे। उसको अपनी बीबी का राय अच्छा लगा और कहा की ठीक है चलो चलते है किसी शहर में। और फिर एक दिन वह अपने पुरे परिवार के साथ एक शहर में चला आया।
और शहर में आके उसके पानी का एक दुकान खोला और उसके बच्चे स्कूल जाने लगे एक बहुत ही बड़े स्कूल में जहा का फिश भी बहुत ज्यादा था। लेकिन चिंटू के पैसे की कोई कमी नहीं थी। फिर वह उसी शहर में अपना पानी का दुकान चलाने लगा।उसने दो कर्मचारी रखा था जो पानी को सबके घर और दुकान पर पानी पहुंचाने लगे। और उसको इस ब्यापार में उसको बहुत ही मुनाफा होने लगा। फिर उसके अब धिरे धिरे उसने अब बहुत सारी गाड़ी खरीद लिया और कर्मचारी भी बड़ा दिया और धिरे धिरे वह उसी शहर में अपना एक पानी का कंपनी खड़ा कर दिया। और उस कंपनी से उसे बहुत मुनाफा होने लगा। फिर उसके जो पैसा का मुनाफा होता उससे अब वह उसी शहर में अपनी बीबी के नाम से जमीन खरीदना सुरु कर दिया। और उसे भी खरीदना और बेचना सुरु कर दिया जिससे उसको उससे भी बहुत मुनाफा होने लगा। और अब उसके पास बहुत ज्यादा पैसा होने लगा और वह बहुत ही ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन यापन करने लगा।
एक दिन बात है चिंटू ने सोचा की पानी के ब्यापार से ज्यादा मुनाफा तो इस जमीन के ब्यापार में हो रहा है। क्यों न अब बस इसी को किया जाये और पानी का ब्यापार किसी और को दे दिया जाये। फिर वह यही सोच कर उसके अपने एक दोस्त को गांव से शहर में बुला लिया जिसका नाम शिवा था। और फिर उसके आने के बाद उसने शिवा से कहा की भाई तुम एक काम करो। जो मेरा पानी का ब्यापार है इसको अब तुम सम्हालो और मै जमीन का ब्यापार देखता हु। तब उसके दोस्त ने कहा की ठीक है भाई जैसा तुम कहो। और फिर वह पानी का ब्यापार देखने लगा और चिंटू अब जमीन का ब्यापार देखने लगा और अब उसको दोनों तरफ ने बहुत ज्यादा मुनाफा आने लगा। चिंटू जमीन का ब्यापार देखता और शिवा उसके पानी का और महीने के लास्ट में दोनों का हिसाब होता तो पानी से ज्यादा मुनाफा जमीन में निकालता था। और उसके पास महीने के लास्ट में बहुत ज्यादा पैसा होता था। जिससे अब उसका बैंक बैलेंस भी बहुत ज्यादा होने लगा। लेकिन वह शिवा को बस एक सेलरी देता था।चिंटू को बचपन से ही हीरो बनाने का शौख था। लेकिन किसी कारण से वह फिल्म लाइन में जा पा रहा था।
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एक दिन शिवा और चिंटू शाम को छत पर बैठे थे। और कुछ बात चित कर रहे थे उसी बात ही बात में चिंटू ने शिवा से कहा की भाई मुझे हीरो बनने का बड़ा सौख है क्या मै हीरो बन सकता हु। तब शिवा बोला की क्यों नहीं बन सकते। चलो जब सुबह होगा तो किसी फिल्म स्टूडियो में चलेंगे और वहा पर बात करेंगे किसी से। तब चिंटू बोला की ठीक है भाई। फिर जब सुबह हुआ तो दोनों तैयार हो कर गए एक स्टूडियो पर। और वहा पर जाके एक फिल्म डारेक्टर से बात किये लेकिन वह उनको मना कर दिया और बोला की अब तुम्हारी उम्र नहीं रही फिल्म बनाने की। और तुम चाहो तो फिल्म में दूसरा रोल मिल सकता है लेकिन हीरो वाली अब तुम्हारी उम्र नहीं रही। अब यह सुन कर चिंटू को बहुत बुरा लगा। और वह दोनों घर आये। और घर आने के बाद चिंटू बहुत ही गुस्से में था तब उसके दोस्त ने कहा की अरे यार तुम क्यों चिंता करते हो अपने पास इतना पैसा है। यह किस दिन काम आएगा हम लोग खुद फिल्म बनाएंगे और उसमे तुम हीरो बनोगे। फिर चिंटू का गुस्सा शांत हुआ। और दोनों खाना पीना खा के सो गए।
और फिर जब सुबह हुआ तो वह एक दुकान पर गया और वहा से उसके कैमरा ख़रीदा और जो जो सामान एक फिल्म बनाने में लगता है सब कुछ ख़रीदा और लेके अपने घर आया और फिर उसके एक लेखक से एक फिल्म की कहानी लिखवाई। वह भी अपने पापा के नाम से पूरी कहानी लिखवाई। और फिर उसने कुछ लोगो को अपने फिल्म में काम दिया और उसके एक फिल्म बना कर तैयार कर दिया जिसमे चिंटू हीरो था। और जब फिल्म बन के तैयार हो गई तो। अब यह उसे लेके बहुत फिल्म स्टूडियो में गया लेकिन उसकी फिल्म कोई लेने के लिए तैयार ही था। फिर उसने एक छोटी सी कम्पनी को ये फिल्म दिया तो उसने इस फिल्म को ले लिया। और फिर उस फिल्म को रिलीज किया और वह फिल्म रिलीज होते ही मार्किट में बवाल मचा दिया और फिल्म से भी उसने बहुत ज्यादा पैसा कमाया। और फिर उसको बहुत फिल्म का ऑफर आने लगा और अब वह फिल्म लाइन में बिजी हो गया। और अपने जमीन का ब्यापार से थोड़ी दुरी होने लगी तो उसने सोचा की क्यों न अपनी जमीन का ब्यापार किसी को दे दिया जाये फिर उसने अपने एक दोस्त को गांव से बुलाया जिसका नाम सतीश था। और उसने चिंटू का जमीन का ब्यापार देखने लगा। और चिंटू अपने फिल्म लाइन में बिजी हो गया।
और अब उसका सारा ब्यापार उसके दोस्त देखने लगे और यह अब फिल्म में काम करने लगा। एक दिन की बात है शिवा और सतीश एक पास में बैठे थे और अपने में कुछ बात कर रहे थे। तभी वहा पर चिंटू आया और उन दोनों से पैसे का हिसाब मांगने लगा। फिर दोनों ने हिसाब दिया और सतीश बोला की मैंने कुछ पैसा अपने काम में यूज़ कर लिया है। अब उसकी बात को सुन कर चिंटू थोड़ा गुस्से में बोला की अगर पैसा खर्च करना है तो मुझसे बता के करो मुझसे बिना बताये तुमने पैसा कैसे खर्च कर दिया। अब ये बात सतीश को बहुत ख़राब लगा और वहा से उठ कर चला गया। फिर शिवा ने चिंटू को समझाया की तुमको उससे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। तब उसने शिवा को भी डाट दिया तो शिवा भी वहा से उठ कर अपने रूम में चला गया। और अब दोनों ने रूम में जाके एक प्लान बनाया और फिर उन दोनों ने मिल कर उसके दोनों ब्यापार को ख़त्म करने का प्लान बनाया। और फिर दोनों सो गए |
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जब सुबह हुआ तो वह दोनों अपने अपने दुकान पर गए और वहा पर जितना पैसा रखा था उसको लिया और दोनों ने उसकी दुकान को किसी और को बेच कर वहा से अपने गांव भाग आये। और चिंटू से कहा की हम लोग गांव जा रहे है। कुछ दिन में वापस आ जायेंगे तब तक दुकान बंद रहेगी। फिर चिंटू बोला की ठीक है जावो लेकिन जल्दी से आ जाना। और फिर दोनों अपने अपने गांव चले गए। और अभी तक चिंटू को ये पता नहीं था की उसकी दुकना बिक चुकी है। और वह इस बात से अनजान अपने फिल्म में बिजी था। एक दिन बात उसको एक प्रोडूसर मिला और उसने कहा की मै एक फिल्म बनाना चाहता हु जिसका खर्च लगभग २ करोड़ है और मेरे पास बस एक करोड़ है अगर तुम चाहो तो उसमे अपना पैसा लगा सकते हो। तब चिंटू बोला की क्यों नहीं चलो पैसा लगाते है। और फिर वह अपने घर गया और जब अपनी बीबी से जमीन के कागज मांगे तो उसके कहा की आप ने ही तो कहा था की सतीश का जमीन का कागज दे देना। तो मैंने अपने सभी जमीन का कागज उसको दे दिया था। तब चिंटू अपनी बीबी से बोला की मैंने कब कहा था जी। तब उसने उसको सारी कहानी बताई की की आप ने उसको कहा था की जमीन का कागज ले लेना। फिर वह टेंशन में आ गया। और फिर सतीश के नंबर पर कॉल किया तो उसका नंबर बंद बता रहा था। अब इसको और टेंशन होने लगा।
फिर उसने सोच की चलो उससे बाद में बात कर लूंगा तब तक जो पानी का पैसा है उसी को लगा देता हु। और फिर वह अपनी पानी की दुकान पर गया तो देखा की वहा पर कोई और ही बैठा है। तो चिंटू ने उससे पूछा की तुम कौन हो और यह पर क्यों बैठे हो। तब उसने बताया की ये दुकान मेरी है मैंने कुछ समय पहले ही ख़रीदा है। इतना सुनते ही वह वही जमीन पर बेहोश होक गिर गया। फिर उसके मुँह पर पानी मार कर लोगो ने उसको उठाया। तब उसने शिवा के पास कॉल किया तो उसका भी नंबर बंद बता रहा था। फिर वह भगा भगा अपने घर गया और पूरी कहानी अपनी बीबी को बताया तो उसकी बीबी ने भी उसको बहुत कुछ सुनाया और उसके पास जो भी रुपया पैसा था उसको लेके और दोनों बेटो को लेके अपने माँ के घर चली गई उसको अकेले छोड़ कर। अब चिंटू के पास ना तो धन था और ना ही दोस्त और ना ही बीबी बच्चे सब कोई उसको धोखा देके और उसको छोड़ कर चले गए। अब चिंटू इतना ज्यादा प्रेसर में आ गया की वह एकदम पागल हो गया। और चिंटू एक करोड़पति से रोडपति हो गया। किसी ने सच ही कहा है की अगर अपने धोखा ना ने दे तो कोई भी इंसान कभी गरीब या दुखी नहीं हो सकता है। और अकसर देखा गया है की धोखा देने वाला अपना खाश ही होता है।
लेखक :- रत्नेश चौहान
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