लालची पंडित पंडिताइन
Lalachi Pandit Panditain
बहुत समय पहले की बात है एक गांव था उस गांव में एक पंडित रहते थे उनका नाम मंजेश था।जब वह बहुत की कम उम्र के थे तभी उनके माता पिता का स्वर्गवास हो गया था। जिस वजह से अब वह घर में अकेले ही रहते थे। लेकिन मंजेश पंडित बहुत ही लालची इंसान थे।जहा भी जिसके घर पे जजमानी के लिए जाते थे। तो जितना खाना मिलता वो तो खाते ही थे और इसके बाद उनसे मांग कर अपने घर भी ले जाते थे और फिर घर जाके खाते उनका रोज का यही दिनचर्या था। और उनको गांव के बच्चे लालची बाबा कह कर चिड़ाते थे जिससे वह बहुत गुस्सा भी होते लेकिन बच्चे सब उनको चिड़ा कर भाग जाते थे। फिर एक दिन गांव के कुछ लोगो ने कहा की बाबा अब आप शादी कर लीजिये अब आप का उम्र भी ज्यादा हो रहा है। फिर एक दिन पंडित जी ने एक लड़की से शादी कर ली और शादी कर के अपने घर लेके आ गए। और कुछ दिन बाद उनके घर एक बच्चे ने जन्म लिया लकिन किसी बीमारी के वजह से वह बच्चा दुनिया छोड़ कर चला गया।
और फिर उसके बाद उनके कोई बच्चा नहीं हो रहा था बहुत मेहनत किये और बहुत डॉ को दिखाए लेकिन उनका कोई भी संतान नहीं हो रहा था। अब जिस वजह से पंडित जी बहुत दुखी रहने लगे। और बहुत कोशिश किये लेकिन उसका कोई भी रिजल्ट नहीं मिल रहा था। और अब उन दोनों पति पत्नी धिरे धिरे उम्र ढलते जा रहा था। मजे की बात ये थी की जितने बड़े लालची पंडित जी थे उनसे बड़ी लालची उनकी बीबी थी। एक दिन बात है मंजेश बाबा किसी के घर से मांग कर कुछ मिठाई लाये थे। जो बहुत की स्वादिस्ट था। मिठाई लाये और अपनी बीबी को दे दिए और बोले की आज तुम खाना मत बनाना आज हम दोनों मिठाई खा के सो जायेंगे। तब उनकी बीबी बोली की ठीक है। और फिर वह एक प्लेट में पांच मिठाई लेके आई और उनके पास रख दी खाने के लिए और फिर वह भी पास में बैठ गई खाने के लिए। तब पंडित जी बोले की तीन मै खा लेता हु और दो तुम खा लो। तब इसपे उनकी बीबी बोली की नहीं मै तीन खाउंगी आप दो खा लो अब इसी बात को लेके वहस चालू हो गया और वहस करते करते काफी समय हो गया। लेकिन कोई मानने के लिए रेड्डी ही नहीं था।
फिर मंजेश बाबा ने कहा की ठीक है एक शर्त रखते जो इसको पूरा कर देगा वह तीन लड्डू खायेगा और जो नहीं पूरा करेगा वह दो लड्डू खायेगा। तब उनकी बीबी बोली की ठीक है बताइये क्या शर्त है। तब वह बोले की जो पहले बोल देगा वह दो लड्डू खायेगा और जो बाद में बोलेगा वह तीन। तब उनकी बीबी बोली की ठीक है मुझे ये शर्त मंजूर है और इतना कह कर दोनों लोग अपने रूम में चले गए सोने के लिए मिठाई को एक जगह रख कर। फिर जब सुबह हुआ तो कोई दरवाजा नहीं खोला। फिर धिरे धिरे दोपहर होने लगी तब भी कोई दरवाजा नहीं खोला। तब गांव वालो ने सोचा की बाबा कही गए होंगे क्यों की आज मंदिर पर भी नहीं दिखे और न ही कही और दिख रहे है लग रहा की बाबा कही गए है। अब दोपहर से शाम होने लगी तब भी कोई दरवाजा नहीं खोला और फिर रात हो गई लेकिन कोई नहीं बोला दोनों लोग बा एक दूसरे को देख रहे थे। उनकी बीबी सोच रही थी वो बोले वह पंडित जी सोच रहे थे उनकी बीबी बोले। और फिर एक दिन बीत गया लेकिन किसी ने दरवाजा महि खोला और न किसी ने कुछ बोला और उस रात को भी बिना खाये सो गए।
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फिर जब सुबह हुआ। और गांव वालो ने अभी भी उनको नहीं देखा और ना ही पंडिताइन को तब गांव वालो को चिंता होने लगी और उनके घर जाके देखा तो उनका दरवाजा बाहर से खुला था। तब लोगो ने पास में जा के देख तो दरवाजा तो अंदर से बंद था। फिर सभी लोग दरवाजा खटखटाने लगे और दोनों लोग को आवाज देने लगे। लेकिन दोनों में कोई कुछ बोल नहीं था। और जो उनके पास लड्डू रखा था अब उसको चींटी खाने लग गई थी। और ये दोनों लोग देख रहे है लड्डू को चीटिया खा रही है और बाहर से लोग आवाज दे रहे है फिर भी दोनों में कोई कुछ नहीं बोल रहा है। दोनों बस एक दूसरे को देख रहे है। फिर लोगो ने सोचा की लगता है दोनों लोग सो गए है। और इनका कह कर सब लोग अपने घर चले। और फिर दूसरा दिन भी बीत गया बिना खाये पिए। फिर तीसरा दिन का सुबह हुआ तब भी सब लोग देख रहे है कोई दरवाजा नहीं खोल रहा है और ना ही कोई दिख रहा दोनों में से। अब लोगो को संका होने लगा। और उनको लगा की पंडित पंडिताइन को कुछ हो तो नहीं गया है। इस लिए वह लोग दरवाजा नहीं खोल पा रहे है। अब यही सोच कर लोगो ने दवाजा को तोड़ दिया और दरवाजा दौड़ने के बाद।
सभी लोग देखते है पंडित पंडिताइन एक पास में सोये है। और दोनों लोगो का आंख बंद है। और दोनों लोग का सास भी नहीं चल रहा है। क्योकि दोनों लोगो ने अपना अपना सास रोक लिया था जब सभी लोग घर में घुसे तो। फिर गांव वालो ने उन्हें जगाने की कोशिश करने लगे लेकिन दोनों में कोई नहीं कुछ बोला। तब गांव वालो को लगा की इनका स्वर्गवास हो गया है। फिर गांव वाले मिल कर उनका अंतिम संस्कार करने के लिए उनको लेके समसान घाट लेके जाने लगे। इस समय भी कोई कुछ नहीं बोल रहा है दोनों लोग चुप चाप लेटे है। और जा रहे है समसान घाट। लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा है। और फिर गांव वाले लकड़ी सजाने लगे और तब तक कोई नहीं कुछ बोल रहा है। दोनों लोग चुप चाप सोये है। और गांव वाले अपना कार्यक्रम कर रहे है। उनके अंतिम बिदाई का फिर लकड़ी सज के तैयार हो गया और दोनों लोगो को उसपे लेता दिया है। अभी तक कोई कुछ नहीं बोल रहा है। दोनों चुप चाप उसपे लेट जाते है। फिर अब सभी लोग जाके गंगा में नहाते है। और अब उनको आग देने का समय आ जाता है। तो कुछ लोग बोलते है। अब आग कौन देगा फिर उसी में से एक लड़का बोलता है की ठीक है आग मै दे दूंगा।
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और जैसे ही वह आग देने जाता है तभी पंडित जी उठ कर बोलते है की। चलो तुम ही तीन को खा लेना मै दो को खा लूंगा। तब इसपर पंडिताइन बोलती है नहीं आप ही तीन को खा लेना मै दो को खा लुंगी। इतना सुनते है सभी गांव वाले वहा से भागने लगे और और जोर जोर से चिल्लाने लगे की भागो भागो पंडित पंडिताइन भुत बन गए है। और वह लोग हम लोगो को खाने की बात कर रहे है। पंडित बोल रहा है तुम तीन को खा लेना और मै दो को खा लूंगा। अब इससे और भी लोग डरने लगे और भागने लगे वहा से उसके बाद पंडित पंडिताइन गांव में जाते है और सभी लोगो को एक पास में बुलाते है। फिर सब लोग डरते डरते उनके पास जाते है। फिर पंडित जी पूरी कहानी बताते है। तब गांव वालो को पूरी कहानी पता चलती है। फिर गांव वाले उन दोनों पर बहुत गुस्सा करते है। और फिर सब लोग अपने अपने घर चले जाते है।
लेखक:- अर्जुन आइना
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