घमंडी लड़की और पागल

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Ghmandi Ladaki Aur Pagal

अस्मिता अपने पापा के साथ एक गांव में रहती थी। अस्मिता बहुत ही सुन्दर लड़की थी। और उसको इस बात का बहुत घमंड था की वह खूबसूरत है। इस लिए उसके पापा उसके लिए कोई भी रिस्ता लेके आते तो वह उस रिश्ते को ठुकरा देती थी और कहती थी मै एक राजकुमार से शादी करुँगी। इस बात को लेके उसके पापा बबलू बहुत ही परेशान रहते थे। और सोचते रहते थे की इसका क्या होगा और कब होगी इसकी शादी इसी बात की चिंता उन्हें सताए जा रही थी। फिर एक दिन वह कुछ गांव के लोगो को अपने घर पर बुलाया और अपनी सारी समस्या बताई तो गांव वालो ने कहा की ठीक है। हम सब लोग भी तुम्हारी बेटी के लिए लड़का ढूढेंगे और फिर गांव वाले भी बहुत सारा लडके का रिस्ता लेके उसके घर आते। लेकिन सब को अस्मिता फेल मर देती थी। जिस वजह से अब उसकी बेटी पर पुरे गांव के लोग बहुत ही गुस्सा हुए और सब ने मिल कर एक एक प्लान बनाया और कहा की अब इसकी शादी किसी ऐसे ब्यक्ति से कराएँगे जो देखने में एकदम बदसूरत और एकदम बेरोजगार हो और यही प्लान बना कर वो लोग उसके लिए लड़का देखने गांव से चले गए।

एक दिन की बात है गांव वाले उसके लिए लड़का ढूढ़ रहे थे। तभी कुछ दुरी पर एक लड़का दिखा। फिर जब सब लोग पास में जाके देखे तो वह एक पागल था। उसको देख कर अब सब के मन में ये बिचार आया की क्यों न इसी से उसकी शादी करा दी जाये। फिर सब ने लडके से पूछा की तुम शादी करोगे क्या। तो वह लड़का बोला की है मै शादी करूँगा। फिर सब ने मिल कर प्लान बनाया और फिर वह सब बबलू के पास पहुंच गए और उससे बोला की तुम्हारी लड़की के लिए एक बहुत ही अच्छा लड़का देखा है। तुम उससे अपनी बेटी की शादी कर दो तुम्हारी बेटी उसके साथ राज करेगी बहुत ही सुन्दर लड़का है। तब बबलू बोला की ठीक है मै शादी करने के लिया तैयार हु। तब गांव वालो ने कहा की लडके के घर वालो का नियम है की शादी से पहले या शादी के दिन लड़की लडके को नहीं देखती और अगर वह देख लेती है तो लडके के साथ कुछ भी हो सकता है। तब बबलू बोला की ठीक है। मै अपनी बेटी को मन कर दूंगा की वह लडके को न देखे। और इसके बाद शादी तय हो जाती है और अस्मिता और उसके दूल्हे विश्वजीत की शादी हो जाती है। लेकिन अभी तक अस्मिता विश्वजीत को देखि नहीं रहती है ।और जब सुबह होती है और फिर दोनों का बिदाई होता है फिर दोनों अब घर जाते है और जाने के बाद जब वह उसको देखती है। तो उसके तो होश ही उड जाता है। और फिर अपने घर पे अपने पापा के पास कॉल कर के बताती है। की पापा मेरे साथ धोखा हुआ और । ये लड़का देखने में एकदम बदसूरत और पागल है। फिर उसके पापा उसे समझाते है की देखो बेटा अब वही तुम्हारा पति है अब उसके साथ ही तुमको अपना जीवन बिताना है। फिर जैसे तैसे हर मान कर वही उसके साथ रहने के लिए तैयार हो जाती है।

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लेकिन वह विश्वजीत को अपने पास नहीं आने देती है। और न ही उसका सेवा करती है। वह बस अपने सरीर का ध्यान रखती है और अपने आप में मस्त रहती है । और विश्वजीत से कहती है की तुमने मुझसे धोखे से शादी किया है मै तुमको पूरी जिंदगी नहीं माफ़ करुँगी। और तुमको मै बर्बाद कर दूंगी। लेकिन विश्वजीत बेचारा कुछ नहीं कहता था। और उसे कुछ समझ में भी नहीं आता था की अस्मिता उससे क्या कह रही है और क्यों कह रही है। वो तो बस अपने मगन में रहता था। उसको तो ये भी नहीं पता था की ये शादी क्या होता है। अब इस सब बात को लेके बबलू को और भी परेशानी होने लगी और वह सोचने लगा की अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर मेरी बेटी का जीवन एकदम बर्बाद हो जायेगा। मुझे कुछ करना पड़ेगा इसके लिए। फिर एक दिन वह एक जंगल में एक साधु रहते थे उनके पास गया और अपनी पूरी कहानी बताई और बोला कि बाबा मेरी कुछ मदत करो। तब साधु बाबा ने उसे एक जड़ीबूटी दी और कहा की यह अपने दामाद को पीला देना वह धिरे धिरे ठीक हो जायेगा। फिर वह जड़ीबूटी लेके घर आया और उसको पिलाने लगा फिर धिरे धिरे वह ठीक होने लगा।

बबलू का मुख्य काम था भेड़ चराने का तो उसे दहेज़ में कुछ भेड़ दिया रहता है तो विश्वजीत उसी को चराता था। एक दिन की बात है। विश्वजीत अपनी भेड़ को लेके एक जंगल में गया था और जंगल में जाने के बाद उसे एक पथ्थर दिखा जो बहुत ही बड़ा था। तो विश्वजीत ने सोचा की जब तक भेड़ चर रही है तब तक क्यों न इस पथ्थर पर बैठ कर आराम किया जाये और यही सोच कर वह उस पथ्थर के ऊपर बैठ गया। और जैसे ही बैठे भी कुछ मिनट हुआ था की वह पथ्थर अपनेआप गरम होने लगा। अब विश्वजीत को कुछ समझ नहीं आ रहा था की ये गरम कैसे हो रहा। फिर वह सोच में पड़ गया की ऐसा कैसे हो सकता है। फिर जब शाम होता है तो वह भेड़ो के साथ साथ उस पथ्थर को भी अपने घर लेके चला आता है। और फिर अपने आँगन में उसे रख देता है। और जब रात होती है तो वह देखता है जिस पथ्थर को लेके आया है वह एक इंसान बन कर वही पर बैठा है। फिर विश्वजीत उसके पास जाता है। और उस इंसान से पूछता है की तुम कौन हो। तब वह इंसान बताता है मै भगवान शिव का अंस हु। तब विश्वजीत कहता है ये भगवान आप मुझे मेरे पागल पन से ठीक कर दो मै बहुत परेशान रहता हु इस बीमारी के वजह से अब उसकी बात को सुन कर उस इंसान ने कहा की ठीक है जावो तुम अब ठीक हो जावोगे और इतना कह कर वह आदमी गायब हो गया। और फिर विश्वजीत जाके सो गया। और जब सुबह उठा तो वह सब कुछ भूल गया था और अपने पागलपन से ठीक हो गया था। और देखने में बहुत स्मार्ट हो गया था।

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और अस्मिता ने उसे देखा तो वह देखती रह गई और सोच में पड़ गई की ये मेरा दूल्हा ही है। और ये इतना स्मार्ट कैसे हो गया। उसे अपने आंख पर विस्वाश नहीं हो रहा था। फिर उसने विश्वजीत के पास जाके पूछा की ये कैसे हुआ। तब विश्वजीत बोला की मुझे कुछ नहीं पता की ये सब कैसे हुआ। फिर अब अस्मिता उससे बोलती है मुझे माफ़ कर दो और चलो घर के अंदर मै तुमको नहला देती हु। तब विश्वजीत उसको डट के बोला और कहा की तुम मुझे क्यों नहलावोगी भगवान ने मुझे हाथ दिया है मै नाहा लूंगा और जब मै पागल के जैसे रहता था तब तो तुम मुझे कभी भी नहीं नहलाई और न ही मेरा सेवा किया तुमको तो बस अपनी खूबसूरती पर घमंड था तो आज मेरे पर इतना प्यार क्यों आ रहा है। क्यों की अब मै ठीक हो गया हु तो इसी लिए प्यार आ रहा है अगर तुमने मेरा पहले से सेवा किया होता तो सायद मै और पहले ठीक हो गया होता। लेकिन तुम को तो मुझसे धिन आती थी तो आज भी मेरे पास आने की जरुरत नहीं है। मै अपन आप नहा धो लूंगा। तुम जावो अपना काम करो मेरी सेवा करने की कोई जरुरत नहीं है। और इतना कह कर विश्वजीत वहा से चला गया। और फिर अस्मिता रोने लगी। और रोते रोते अपने घर में चली गई। और अपने किये पर पछताने लगी। लेकिन उसके अब पछताने से क्या होता। जब विश्वजीत उसे थोड़ा भी नहीं मनाता था।

फिर दूसरे दिन उसने अपने पापा के पास फ़ोन किया और अपनी पूरी कहानी बताई और बोली की अब विश्वजीत जी मुझे थोड़ा भी नहीं मानते है। तब उसके पापा ने कहा की। पहले तो तुमने ही न उनको ठुकराया था न तब अब उनसे प्यार की उम्मीद कैसे कर सकती हो। देखो बेटी मै तुम्हारा बाप हु और मै कभी भी तुम दोनों का बुरा नहीं चाहूंगा। लेकिन जिंदगी में याद रखना। अगर तुम जिसके साथ में हो अगर उसके जिंदगी में कोई प्रॉब्लम आये तो उसे छोड़ कर भांगना नहीं चाहिए बल्कि उसका साथ देना चाहिए क्यों की ये जो समय का परला है। ये कभी भी किसी का भी बदल सकता है और जब ये करवट लेता है न बेटा। तो बड़े बड़े लोग मिटटी में मिल जाते है। तो कभी भी अपने शरीर अपने धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। तब अस्मिता कहती है पापा मुझसे गलती तो गया है। अब आप ही उनको समझाइये न की वह मुझे माफ़ कर दे। फिर उसके पापा कहते है की तुम टेंशन मत लो उन्हें समझा दूंगा। और फिर वह अपने दामाद को काल के समझा देते है और फिर अस्मिता और विश्वजीत साथ में ख़ुशी ख़ुशी रहने लगते है और एक साल बाद उनका एक बेटा पैदा होता है। अब वह पुरे परिवार के साथ खुश थे।

लेखक :-अर्जुन आइना

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